trendingNow11218542
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

Superworm digest plastic: प्लास्टिक को खाकर खत्म कर सकता है ये कीड़ा, दुनिया को कचरे से मिलेगी मुक्ति?

Superworm digest plastic: स्टडी के मुताबिक सुपरवर्म लार्वा कीड़े की प्रजाति का ही वर्म है, जो कि जोफोबास मोरियो पॉलीस्टाइरीन नाम के खास प्लास्टिक को आसानी से पचा लेता है. इसका कारण कीड़े की आंत में मौजूद बैक्टीरिया है.

Photo: UNIVERSITY OF QUEENSLAND
Stop
Updated: Jun 13, 2022, 05:53 PM IST

Superworm digest plastic (इनपुट- आरती राय): प्लास्टिक कई दशक से दुनिया भर के लिए कभी न खत्म होने वाली गंभीर समस्या बनी हुई है, वहीं इसे रिसाइकिल करना भी मुश्किल है. ज्यादातर प्लास्टिक कचरा धरती में मिलकर या फिर समुद्र में जाकर प्रकृति को नुकसान पंहुचा रहा है और प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बन गया है. इतना बड़ा कारण कि अगर हमें जीना है तो आने वाले समय में प्लास्टिक को नष्ट करने के कारगर तरीके खोजना बेहद जरूरी है. इस समस्या से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कीड़ा ढूंढ लिया है, जो प्लास्टिक को खाकर जिंदा रह सकता है. इस नई रिसर्च के बाद दुनिया को प्लास्टिक कचरे से छुटकारा मिलने की उम्मीद जगी है.

प्लास्टिक खा सकता है कीड़ा

नई स्टडी के अनुसार पॉलीस्टाइरीन खाने वाले कीड़े की प्रजाति बड़े पैमाने पर प्लास्टिक रीसाइक्लिंग की कुंजी हो सकती है. ऑस्ट्रेलिया की University of Queensland के वैज्ञानिको के मुताबिक जोफोबास मोरियो यानी 'सुपरवर्म' आसानी से पॉलीस्टाइरीन यानी प्लास्टिक के कंटेंट को खा सकता है. उनकी आंत में मौजूद जीवाणु एंजाइम उसे आसानी से पचा भी लेते हैं.

स्टडी के मुताबिक सुपरवर्म लार्वा कीड़े की प्रजाति का ही वर्म है, जो कि जोफोबास मोरियो पॉलीस्टाइरीन नाम के खास प्लास्टिक को आसानी से पचा लेता है. इसका कारण कीड़े की आंत में मौजूद बैक्टीरिया है. रिसर्चर डॉ रिंकी के मुताबिक, 'स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने सुपरवर्म को सिर्फ पॉलीस्टाइरीन का आहार दिया था और वो कीड़ा उसे आसानी से खा गया. कीड़ा पॉलीस्टाइरीन खाने के बाद न केवल जीवित रहा बल्कि उसका मामूली वजन भी बढ़ा था. इससे पता चलता है कि कीड़े पॉलीस्टाइरीन से ऊर्जा हासिल कर सकते हैं, वहीं उनके आंत के अंदर बैक्टीरिया को प्लास्टिक को आसानी से पचा ले रहे हैं. 

पॉलीस्टाइरीन से क्या-क्या बनता है?

पॉलीस्टाइरीन प्लास्टिक से थर्माकोल/स्टायरोफोम, डिस्पोजेबल कटलरी, CD केसेस, लाइसेंस प्लेट के फ्रेम्स, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के पार्ट्स, ऑटोमोबाइल के पार्ट्स बनाए जाते हैं.यह कीड़ा पॉलीस्टाइरीन और स्टाइरीन के टुकड़ों को खाकर खत्म कर सकता है.

तीन हफ्ते की स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने इन कीड़ों को तीन अलग-अलग ग्रुप्स में बांटा और इन्हें अलग प्रकार के प्लास्टिक की डाइट पर तीन हफ्तों के लिए रखा गया. इस दौरान पॉलीस्टाइरीन प्लास्टिक से बनने वाले थर्माकोल (स्टायरोफोम) को खाने वाले कीड़ों का वजन बढ़ते देखा गया. वहीं इस स्टडी के दौरान देखा गया कि ये कीड़ा पॉलीस्टाइरीन और स्टाइरीन के टुकड़ों को खाकर खत्म कर देता है. ये दोनों ही प्लास्टिक खाने-पीने के कंटेनर और कार के पार्ट्स बनाने में इस्तेमाल होती है. 

सुपरवर्म मिनी रीसाइक्लिंग प्लांट की तरह

स्टडी में ये भी बताया गया कि सुपरवर्म मिनी रीसाइक्लिंग प्लांट की तरह पॉलीस्टाइरीन को अपने मुंह से काटते हैं और फिर इसे अपने आंत में बैक्टीरिया को खिलाते हैं. वहीं सुपर वर्म एक ऐसा कीड़ा होता है, जिसे पक्षियों और रेप्टाइल्स के खाने के लिए पैदा किया जाता है. इसका आकार 2 इंच (5 सेंटीमीटर) तक हो सकता है.

इस प्रतिक्रिया से टूटने वाले उत्पादों का उपयोग अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा बायोप्लास्टिक्स जैसे हाई प्राइज वाले कंपाउंड्स को बनाने के लिए किया जा सकता है.वैज्ञानिकों को इस रिसर्च से उम्मीद है कि यह प्रक्रिया बायो-अपसाइक्लिंग प्लास्टिक कचरे के रीसाइक्लिंग को बढ़ाएगी और लैंडफिल को कम करने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है.

ये भी पढ़ें: उड़ते प्लेन के टॉयलेट में फंस गया पायलट, विमान में सवार यात्रियों का हुआ ऐसा हाल

रिसर्च के अनुसार कीड़ा नहीं बल्कि इसकी आंत में मौजूद बैक्टीरिया प्लास्टिक को पचाता है. रिसर्चर का कहना है कि प्लास्टिक को रिसाइकिल करने में इस कीड़े का नहीं, बल्कि इसकी आंत में मौजूद बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाएगा. दरअसल, बैक्टीरिया ही है जो प्लास्टिक को पचाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी मदद से हाई क्वालिटी बायोप्लास्टिक बनाया जा सकता है. बायोप्लास्टिक जैविक चीजों से बनाया जाने वाला प्लास्टिक है. ये कीड़ा बायो-अपसाइक्लिंग के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

LIVE TV

Read More
{}{}