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Sunita Williams: स्पेस में कब तक फंसी रहेंगी सुनीता विलियम्स, वापस लौटने पर नासा ने दिया हैरान करने वाला अपडेट

Where is Sunita Williams: शुरुआत में यह मिशन 8 दिन का था लेकिन स्टारलाइनस के प्रोपल्शन सिस्टम में दिक्कतें आने की वजह से इनके आईएसएस में रहने की अवधि बढ़ा दी गई है. साथ ही इस समस्या की वजह से इन दोनों ही एस्ट्रोनॉट्स के वापस धरती पर ले जाने वाले इस स्पेसक्राफ्ट पर भी सवालियानिशान लग गया है.

Sunita Williams: स्पेस में कब तक फंसी रहेंगी सुनीता विलियम्स, वापस लौटने पर नासा ने दिया हैरान करने वाला अपडेट
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Rachit Kumar|Updated: Aug 08, 2024, 03:58 PM IST

ISS: एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर फरवरी 2025 तक धरती पर लौट पाएंगे. फिलहाल ये दोनों ही एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हैं. इनको बोइंग स्टारलाइनर से वापस धरती पर लौटना था, लेकिन अब इनकी वापसी स्पेस एक्स क्रू ड्रैगन में होगी.

दरअसल स्टारलाइनर के स्पेसक्राफ्ट में लगातार आ रही तकनीकी दिक्कतों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है. फिलहाल उसकी सुरक्षा का मुआयना किया जा रहा है. इन दोनों ही एस्ट्रोनॉट्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर जून में स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए भेजा गया था, जो उसका पहला क्रू मिशन था.

पहले 8 दिन का था मिशन

शुरुआत में यह मिशन 8 दिन का था लेकिन स्टारलाइनस के प्रोपल्शन सिस्टम में दिक्कतें आने की वजह से इनके आईएसएस में रहने की अवधि बढ़ा दी गई है. साथ ही इस समस्या की वजह से इन दोनों ही एस्ट्रोनॉट्स के वापस धरती पर ले जाने वाले इस स्पेसक्राफ्ट पर भी सवालियानिशान लग गया है.

बोइंग ने हालांकि थ्रस्टर्स फेलियर और हीलियम लीक्स जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए कई टेस्ट किए हैं. 

लेटेस्ट डेटा में क्या सामने आया?

ताजा टेस्ट डेटा से पता चलता है कि थ्रस्टर के ज्यादा गर्म होने से टेफ्लॉन सील खराब हो जाती है, जिससे प्रोपेलेंट फ्लो बाधित होता है और थ्रस्ट कमज़ोर हो जाता है. इससे नासा के भीतर इस बात को लेकर आंतरिक असहमति पैदा हो गई है कि क्या स्टारलाइनर के वापस लौटने के जोखिम को स्वीकार किया जाए या क्रू ड्रैगन का इस्तेमाल करने के सेफ ऑप्शन को चुना जाए.

अगर नासा स्टारलाइनर मिशन को बदलने पर विचार करता है तो बोइंग के स्पेसक्राफ्ट को बिना क्रू मेंबर के ही वापस लौटना पड़ेगा. यह बोइंग के लिए एक बड़ा झटका होगा, जिसने स्टारलाइन को बनाने में काफी चुनौतियां का सामना किया है, जिसमें मैनेजमेंट और इंजानियरिंग की समस्या भी शामिल है. स्टारलाइनर का निर्माण बोइंग ने साल 2016 में शउरू किया था और इसे बनाने में 1.6 बिलियन डॉलर का खर्च आया था, जिसमें 125 मिलियन डॉलर का टेस्ट मिशन का खर्च भी शामिल है.

 

 

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