trendingNow11363707
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

International Day of Sign Languages: लाखों लोग करते हैं साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल, शायद आपको न पता हों इसे सीखने के फायदे

International sign language day 2022: साइन लैंग्वेज के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है.

International Day of Sign Languages: लाखों लोग करते हैं साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल, शायद आपको न पता हों इसे सीखने के फायदे
Stop
Zee News Desk|Updated: Sep 23, 2022, 11:41 AM IST

International Day of Sign Languages 23 September: क्या आपको संकेतों की भाषा (Sign Language) आती है? ये एक कमाल की चीज है जो उन लाखों लोगों की बात पलभर में दुनिया से साझा कर देती है जो अपने मन की बात किसी शारीरिक दिव्यांगता की वजह से कह नहीं पाते हैं. हर साल 23 सितंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज डे मनाया जाता है. इस साल इस दिन को एक नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है. इस साल की थीम है 'सांकेतिक भाषाएं हमें एकजुट करती है.'

संकेतों का चमत्कार

इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बिना बोले ही सब कुछ कह जाता है. इसमें आप संकेतों के इस्तेमाल करके सामने वाले को अपनी बात समझाते हैं. जैसे कि जो लोग सुनने और बोलने में सक्षम नहीं होते वो अपने हाथ के अलावा चेहरे और शरीर के हाव-भावों के सहारे बातचीत करते हैं. इसी सांकेतिक भाषा को साइन लैंग्वेज कहा जाता है. जिस तरह हर भाषा के अपने व्याकरण और नियम होते हैं ठीक उसी तरह साइन लैंग्वेज का भी अपना एक कोर्स (Course) होता है. 

लाखों लोग इस्तेमाल करते हैं संवाद का ये तरीका

संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) के मुताबिक यह दिन दुनिया के सभी मूक-बधिर लोगों और बाकी साइन लैंग्वेज इस्तेमाल करने वाले लोगों को भाषाई पहचान और सांस्कृतिक विविधता का समर्थन करने व उनकी रक्षा करने के लिए मनाया जाता है. ब्रिटेन (UK) में तो ये सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली चौथी भाषा है. भारत के अंदर हो या सात समंदर पार दुनियाभर के लाखों लोग इस साइन लैंग्वेज का जमकर इस्तेमाल करते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बहुत से लोग इस भाषा को दूसरों की मदद करने की वजह से सीखते हैं. तो कई लोग ऐसे भी हैं जो अपना नॉलेज बढ़ाने के मकसद से इसे सीखते हैं. यानी वो जानना चाहते हैं कि इसका इस्तेमाल करके कैसे संवाद किया जाता है.


(सांकेतिक तस्वीर साभार: सोशल मीडिया)

कैसी है ये भाषा?

यह प्राकृतिक सांकेतिक भाषा की तरह जटिल नहीं है और इसका एक सीमित शब्दकोष है. अपनी बात कहने या समझाने के लिए साइन लैंग्वेज जितनी मुश्किल दिखती है असल में उतनी मुश्किल नहीं है. अगर आपके पास कोई अच्छा प्रोफेशनल टीचर है तो इस भाषा को सीखने में कोई दिक्कत नहीं आती है. दिव्यांगों के अधिकारों (CRPD) पर कन्वेंशन द्वारा सांकेतिक भाषाओं के उपयोग को मान्यता दी गई है. 

बचपन में तो हम सभी ने एक दूसरे से खेल या फिर परिजनों के लाड़ दुलार में संकेतों की भाषा में बात की होगी या किसी और को कभी न कभी ऐसा करते देखा और सुना होगा, पर उससे उलट यह भाषा उन लोगों के जीने का सबसे बड़ा सहारा है जो खुद की बात अपनी जुबान से बयान नहीं कर पाते हैं. 

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

Read More
{}{}