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POK Protests: जिन्ना के देश में सड़कों पर 1971 जैसा नजारा, फूटा जनता का गुस्सा, क्या टूट जाएगा PoK?

Gilgit-Baltistan Protests: PoK आज़ादी मांग रहा है और पाकिस्तान के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाले हालात हैं.अगर गिलगित का गुस्सा दबाया तो बगावत शुरु होगी और उनकी डिमांड को मानना कंगाल पाकिस्तान के बस के बाहर है. 

POK Protests: जिन्ना के देश में सड़कों पर 1971 जैसा नजारा, फूटा जनता का गुस्सा, क्या टूट जाएगा PoK?
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Rachit Kumar|Updated: Jan 29, 2024, 08:56 PM IST

Anti Pakistan Protests: PoK के गिलगित-बाल्टिस्तान में हजारों-लाखों लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. ये लोग पाकिस्तान से अपना हक मांग रहे हैं. सीमापार PoK में दुकानों और ऑफिसों में ताला लगा हुआ है. सड़कें और हाइवे विरोध-प्रदर्शन की वजह से जाम हैं. क्योंकि जिस PoK पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, वो PoK की जनता को पेट भर रोटी खाने के लिए आटा तक नहीं दे पा रहा है. पर इस बार PoK के कश्मीरियों का गुस्सा देखकर पाकिस्तान के पसीने छूट रहे हैं. पाकिस्तानियों को डर है कि 2024 में एक बार फिर 1971 वाला बंटवारा होने वाला है.

पीओके में हालात बेकाबू

30 दिन से ज्यादा टाइम से पीओके में गिलगित बाल्टिस्तान में प्रोटेस्ट चल रहा है. इसकी वजह है वहां मिल रहा महंगा आटा. पाकिस्तान ने पीओके में मिल रही सब्सिडी को हटा दिया है. पीओके में आटे की कीमत 20 रुपये किलो से बढ़कर 36 रुपये यानी लगभग डबल हो गई है.

मोहम्मद अली जिन्ना ने जब पाकिस्तान के लिए खून-खराबा करवाया तो उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि उनके सपनों के देश का भविष्य में यह अंजाम होगा. आज पाकिस्तान कंगाली की दहलीज पर खड़ा है. एक तरफ नेता, सरकारी अधिकारी और सेना के अफसरों के पास इतना पैसा है कि वे विदेशों में घर खरीद रहे हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान की आम अवाम है, जिसे दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

ऐसा ही कुछ गिलगित बाल्टिस्तान में भी देखने को मिला, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. शुक्रवार को गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता आटे की कीमत को लेकर सड़कों पर उतरी. इंटरनेट पर वायरल तस्वीरों में लोगों का हुजूम दिख रहा है. ये किसी पार्टी विशेष के लोग नहीं थे जो महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हों, बल्कि आम लोगों की भीड़ थी, जो आटे की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान में जनजीवन ठप

डॉन न्यूज के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान में शुक्रवार को जनजीवन ठप हो गया, क्योंकि पूरे क्षेत्र में पूरी तरह से शटडाउन और हड़ताल देखी गई. लोग सब्सिडी वाले गेहूं की कीमत में वृद्धि और बाकी चीजों की महंगाई से परेशान हैं. 

इस कारण गिलगित-बाल्टिस्तान के सभी जिलों में बड़े विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं. सड़कों पर लोगों का हुजूम इतना ज्यादा था कि पूरे गिलगित-बाल्टिस्तान में यातायात बाधित रहा. गिलगित, स्कर्दू, डायमर, घाइजर, एस्टोर, शिघर, घांचे, खरमंग, हुंजा और नगर के विभिन्न इलाकों में दुकानें, बाजार, रेस्तरां और व्यापारिक केंद्र बंद रहे. 

गाड़ियां न मिलने से निजी और सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी काम पर नहीं जा सके. इलाके के सभी स्कूलों में अघोषित अवकाश की तरह का माहौल दिखा. इससे लोगों को जरूरी चीजें खरीदने और यात्रा करने में कठिनाई हुई.

इतनी बड़ी हड़ताल किसने बुलाई?

इस हड़ताल का आह्वान अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) ने किया था. इसे व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और होटल मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघों का समर्थन हासिल था. यह पहली बार नहीं है जब गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने प्रदर्शन किया हो.

पिछले कई महीनों से गेहूं की कीमतें बढ़ाने के गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के फैसले के खिलाफ छिटपुट विरोध प्रदर्शन चल रहा था, लेकिन उसका प्रभाव पड़ता न देख इतने बड़े स्तर पर प्रदर्शन को आयोजित किया गया. अवामी एक्शन कमेटी ने घोषणा की कि क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से गिलगित और स्कर्दू की ओर मार्च (रैली) शनिवार से शुरू होगा.

प्रदर्शनकारियों ने सरकार को क्या धमकी दी?

शुक्रवार की नमाज के बाद डायमर के जिला मुख्यालय चिलास में सिद्दीक अकबर चौक पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. वक्ताओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के अनुदानित गेहूं की दर बढ़ाने के फैसले की निंदा करते हुए इसे मुख्यमंत्री की विफलता करार दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो काराकोरम राजमार्ग को जाम कर दिया जाएगा.

शुक्रवार की नमाज के बाद टांगिर, अस्तोर, खरमंग, स्कर्दू, शिगार, घांचे, हुंजा, नगर और घाइजर में भी विरोध रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए गए. मुख्य प्रदर्शन गिलगित के गारीबाग और स्कर्दू के यादगार-ए-शुहादा में आयोजित किए गए, जहां हजारों लोग अपने दैनिक, घंटों के धरने के लिए एकत्र हुए.

2024 में PoK को आज़ाद करने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान के हज़ारों-लाखों लोग तैयार हैं. PoK का कश्मीरी इस्लामाबाद के खिलाफ आंदोलन तेज कर रहा है. PoK की जनता पाकिस्तान के खिलाफ अपना रौद्र रूप दिखा रही है और ये गुस्सा देखकर इस्लामाबाद की सरकार और रावलपिंडी में बैठी सेना दोनों संकट में है.

क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें?

  •  प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सरकार के सामने अपनी 15 मांगें रखी हैं, जिसमें सबसे बड़ी मांग है रोटी की.

  • असल में PoK की जनता को 1970 के दशक से आटा-गेहूं पर सब्सिडी मिल रहा है. इसके लिए पाकिस्तानी सरकार की तरफ से फंड दिया जाता रहा है.

  • हालांकि अब सब्सिडी को घटाकर गेहूं का रेट 20 रुपये किलोग्राम से 36 रुपये किलोग्राम कर दिया गया है. 

  • PoK की जनता इसी का विरोध कर रही है. 

  • गुस्साए लोगों ने काराकोरम हाइवे को ठप कर दिया है. ये वही हाइवे है जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को तिब्बत से जोड़ता है. 

गिलगित-बाल्टिस्तान के कई शहरों में खासकर स्कर्दू में एक धरना जारी है, जिसे चार हफ्ते से ज्यादा हो गये हैं. सैकड़ों-हजारों की तादाद में लोग वहां बैठे हुए हैं. गिलगित के हालात देखकर इस्लामाबाद के लोगों की जान भी हलक में अटकी हुई है. सबको खौफ है कि अगर ये प्रदर्शन रोका ना गया..पीओके के डिमांड ना मानी गई तो 1971 की तरह बंटवारा हो सकता है.

PoK आज़ादी मांग रहा है और पाकिस्तान के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाले हालात हैं.अगर गिलगित का गुस्सा दबाया तो बगावत शुरु होगी और उनकी डिमांड को मानना कंगाल पाकिस्तान के बस के बाहर है. अब ऐसा लगता है कि 2024 में ही पीओके से पाकिस्तान का अवैध कब्जा टूटना तय है.

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