Pakistan Election news: पाकिस्तान के आम चुनाव के नतीजों को तेजी से प्रसारित करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार नया ऐप सवालों के घेरे में है और कुछ अधिकारियों ने आशंका जताई की है कि बृहस्पतिवार को होने वाले चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए सॉफ्टवेयर में हेरफेर की जा सकती है. पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (Pakistan Election Commision) ने प्रत्येक मतदान केंद्र से एक केंद्रीकृत प्रणाली तक परिणामों के प्रसारण के लिए ऐप तैयार किया है, जहां निर्वाचन अधिकारियों द्वारा परिणामों का सारणीकरण किया जाएगा.
कौन सच्चा-कौन झूठा?
निर्वाचन आयोग आठ फरवरी को इस प्रणाली (App) का उपयोग करने के लिए तैयार है. इससे पहले उसने दावा किया था कि इस प्रणाली का देशव्यापी परीक्षण सफल रहा है. हालांकि, सिंध प्रांत के दो निर्वाचन अधिकारियों ने पिछले सप्ताह दूसरे परीक्षण के बाद प्रणाली में खामियों की ओर इशारा किया है. दो निर्वाचन अधिकारियों अब्दुल कादिर मशोरी और उस्मान खसखेली ने अपने वरिष्ठों को पत्र लिखकर इस प्रणाली के संबंध में लगभग एक जैसे मुद्दों का जिक्र किया है.
सही डाटा नहीं वोटर लिस्ट पर भी संदेह
मशोरी का पत्र रविवार को सामने आया,जो तीन फरवरी को वरिष्ठ अधिकारी को भेजा गया था. मशोरी ने हालांकि डॉन समाचार पत्र से कहा कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, उनका बाद में हल कर दिया गया था तथा उन्होंने बाद में एक और पत्र में इसका जिक्र किया है.
मशोरी ने अपने पत्र में कहा था कि ऐप से आंकड़े ‘गायब’ थे. उन्होंने सॉफ्टवेयर की विश्वसनीयता और वैधता पर सवालिया निशान खड़ा किया और आशंका व्यक्त की कि या तो यह प्रणाली "पूरी तरह से विफल" है या किसी अन्य के द्वारा "नियंत्रित" की जा रही है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि खसखेली ने भी ऐसा ही एक पत्र लिखा था.
इस बीच, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चुनाव प्रकोष्ठ के प्रभारी सीनेटर ताज हैदर ने 29 जनवरी को आयोग को लिखे एक पत्र में नयी प्रणाली के संभावित दुरुपयोग की आशंका को लेकर चिंता व्यक्त की.
विभिन्न शिकायतों और आलोचना के बाद निर्वाचन आयोग ने नयी प्रणाली का बचाव किया. आयोग के सचिव सचिव सैयद आसिफ हुसैन ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में गड़बड़ी की किसी भी आशंका को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा कि इंटरनेट फेल होने पर भी नयी प्रणाली ‘ईएमएस’ काम करेगी और निर्वाचन अधिकारी उस समय भी सभी परिणामों को ऑफलाइन तरीके से एकत्र कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि दूरदराज के इलाकों में 60 से अधिक निर्वाचन अधिकारियों को सैटेलाइट कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान की गई है.
हाइब्रिड सरकार चुनने के लिए माथा पच्ची
पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि यूं तो वहां चुनाव नतीजे आने के बाद जीतने वाली पार्टी अपनी सुविधा के हिसाब से सेना की शरण में जाकर डील करती है. लेकिन इस बार केयर टेकर सरकार है. मुल्क की इकोनॉमी खस्ताहाल है. महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे में पूर्व पीएम इमरान खान और उनके करीबी नेता आरोप लगा रहे हैं कि इस बार पीएमएल-एन ने सेना से पहले ही डील कर ली है. ऐसे में निष्पक्ष चुनाव होना नामुमकिन है.
आतंकियों की पार्टी भी सियासी अखाड़े में
पाकिस्तान में इस बार बड़ी तादाद में आतंकवादी नेता बनने की फिराक में हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम हाफिज सईद के बेटे और दामाद का है. दरअसल चुनाव में ‘मरकजी मुस्लिम लीग’ नाम की सियासी पार्टी भी अखाड़े में है. बताया जा रहा है कि ये मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद की पार्टी है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)