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पता चलेगा कितना अच्छा है बीजिंग? 'बड़े भाई' को नाराज कर चीन निकले मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू

India Maldives Tensions: मालदीव के राष्ट्रपति तो पहले से भारत के खिलाफ रुख अपनाए हुए थे, अब तीन मंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलकर भारतीयों को नाराज कर दिया है. इसका खामियाजा मालदीव की इकॉनमी को उठाना पड़ सकता है. अब मोइज्जू चीन जा रहे हैं. क्या इतना अच्छा है बीजिंग?

पता चलेगा कितना अच्छा है बीजिंग? 'बड़े भाई' को नाराज कर चीन निकले मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू
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Anurag Mishra|Updated: Jan 08, 2024, 08:47 AM IST

Maldives vs Lakshadweep: मालदीव के मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ जो कुछ अनाप-शनाप बोला, असल में उसके बीज तो वहां के राष्ट्रपति ने ही बोए थे. अब मोहम्मद मोइज्जू नई दिल्ली को नजरअंदाज कर बीजिंग जा रहे हैं. आज वह चीन के राष्ट्रपति शी चीनफिंग से मुलाकात करने वाले हैं. दोनों नेता (Maldives China News) कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी करेंगे. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बताया है कि राष्ट्रपति शी 8 से 12 जनवरी तक राजकीय यात्रा पर आ रहे मुइज्जू के स्वागत में भोज देंगे. दोनों राष्ट्राध्यक्ष बातचीत करेंगे और कई समझौते फाइनल होंगे. यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब हमेशा मदद के लिए तैयार रहने वाले 'बड़े भाई' भारत को मालदीव ने खफा कर दिया है. हाल में कुछ समझौते तोड़े, पीएम के खिलाफ बोला गया और चीन पर ज्यादा भरोसा जताया जा रहा है. 

भले ही मालदीव की सरकार ने विवादित बयान देने वाले अपने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया है लेकिन भारत में कई लोगों का मानना है कि ये सब नए राष्ट्रपति के वादे का ही विस्तार है. हां, चुनाव प्रचार के समय से ही मोइज्जू कहते रहे हैं कि वह जीते तो 'इंडिया फर्स्ट' पॉलिसी को बदल देंगे. चीन समर्थक मोइज्जू पिछले साल राष्ट्रपति भी बन गए. 

कितना अच्छा है चीन?

मालदीव के तीन मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों से हर भारतीय नाराज है. वे यह भी जानते हैं कि माले को जल्द समझ में आ जाएगा कि बीजिंग कितना अच्छा है!

रिटायर्ड मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव के लिए एक बड़े भाई की तरह रहा है. चाहे वह सुनामी हो, कोविड का काल हो, जल संकट हो या तख्तापलट की कोशिश हो. उन्होंने कहा, 'बड़े भाई का इस तरह अपमान करना अक्षम्य है. वो जिसने हमेशा दिया है बदले में कुछ लिया नहीं है. कक्कड़ ने आगे कहा कि समय आ गया है कि राष्ट्रपति मोइज्जू और उनकी सरकार को अपनी गलती का एहसास हो. भारतीय अपने दम पर मालदीव की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकते हैं. 

श्रीलंका की तरह मालदीव को भी एहसास होगा

वैज्ञानिक के. रमेश ने लिखा कि मालदीव को पता चलेगा कि चीन क्या है और चीन के नेता क्या हैं. यह एक टेस्ट है और श्रीलंका के पीएम की तरह उन्हें भी पता चलेगा कि चीन ने उन्हें कब धोखा दे दिया और मालदीव दिवालिया बन चुका होगा. रमेश का इशारा चीन की कर्ज के जाल में फंसाने वाली नीति की तरफ था, जिससे श्रीलंका को काफी नुकसान हुआ है और अब वह चीन से अलर्ट हो गया है. हाल में उसने भारत की बात मानकर चीन के कथित रिसर्च शिप को कोलंबो में लंगर डालने की परमिशन देने से मना कर दिया. रिसर्च के नाम पर चीन अपने जहाज को बार-बार हिंद महासागर में भेज रहा है. इसके जरिए वह भारत पर नजर रखना चाहता है. 

मालदीव की हालत पतली!

एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2023 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) ने कहा था कि पिछले दशक में मालदीव के जीडीपी रेशियो के सापेक्ष बाहरी कर्ज काफी ज्यादा हो गया है, जो 'कर्ज के जाल' में फंसने का शुरुआती संकेत हो सकता है. थिंक टैंक ने कहा था कि चीन विकास बैंक, चीन के औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक और चीन के निर्यात-आयात बैंक के पास मालदीव के कुल ऋण का आधे से ज्यादा हिस्सा है.

करीब दो महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी कहा था कि मालदीव पर बाहरी और समग्र ऋण संकट का जोखिम है. कुल पब्लिक और पब्लिकली गारंटीकृत डेट-टु-जीडीपी अनुपात महामारी के पीक से गिरा है लेकिन मध्यम अवधि में इसके काफी ज्यादा रहने की संभावना है. यह भी कहा गया था कि बाहरी फंडिंग की जरूरतें बढ़ने और पहले से ही कम रिजर्व बफर के आगे घटने से जोखिम बढ़ रहा है.

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