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Pakistan Minorities: पाकिस्तान में किस हाल में रह रहे हैं अल्पसंख्यक, आखिर क्यों सरकार ने मानी इनके साथ भेदभाव होने की बात

Religious Discrimination in Pakistan: पाकिस्तान में धार्मिक भेदभाव मानवाधिकार उल्लंघनों की नजरिए से एक गंभीर मुद्दा है. हिंदू, ईसाई, सिख, शिया और अहमदिया जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है

Pakistan Minorities: पाकिस्तान में किस हाल में रह रहे हैं अल्पसंख्यक, आखिर क्यों सरकार ने मानी इनके साथ भेदभाव होने की बात
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Manish Kumar.1|Updated: Jun 25, 2024, 11:19 AM IST

Persecution of Minorities in Pakistan: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में बोलते हुए स्वीकार किया है कि देश में अल्पसंख्यकों को धर्म के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर देश में अल्पसंख्यों के मुश्किल हालात का मुद्दा उभर गया है. आखिर सच क्या है, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक किन हालात में रहते हैं. जानते हैं इस रिपोर्ट में: -

पाकिस्तान में धार्मिक भेदभाव मानवाधिकार उल्लंघनों की नजरिए से एक गंभीर मुद्दा है. हिंदू, ईसाई, सिख, शिया और अहमदिया जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है और कई बार हिंसा का भी सामना करना पड़ता है. कुछ मामलों में ईसाई चर्चों और पादरियों पर हमला किया गया है.

हालांकि पाकिस्तान का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और जाति, पंथ या धर्म के आधार पर किसी के बीच भेदभाव नहीं करता है, फिर भी इस्लाम स्टेट का धर्म बना हुआ है. इसका नतीजा यह है कि व्यवहार में मुसलमानों को हिंदुओं या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की तुलना में अधिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं.

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने हाल ही में अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की. इसमें पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का विवरण दिया गया है.

रिपोर्ट में देश में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है. इसमें जून 2022 से जुलाई 2023 तक की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

रिपोर्ट में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से बनाई गई राज्य की नीतियां भी जांच के दायरे में आ गई हैं, विशेष रूप से धार्मिक रूप से प्रेरित अपराधों के आरोप में की गई गिरफ्तारियों के संबंध में.

रिपोर्ट में युवा हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन, अहमदिया मस्जिदों पर हमले और ऑनलाइन ईशनिंदा के आरोपों से संबंधित गिरफ्तारियों में बढ़ रहे मामलों को दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट में धार्मिक असहिष्णुता के कारण अहमदिया, ईसाई, सिख और मुस्लिम समुदायों के कम से कम सात व्यक्तियों की मौत का भी दस्तावेजीकरण किया गया है.

रिपोर्ट में पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता को दूर करने और मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई गई है.इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार ढांचे का पालन करने का आग्रह किया गया है.

पाकिस्तान में अहमदियों का दमन
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, खास तौर पर अहमदिया, पाकिस्तान में बहुत असुरक्षित हैं. अक्सर धार्मिक चरमपंथी इस समुदाय को निशाना बनाते रहते हैं. हालांकि अहमदिया खुद को मुसलमान मानते हैं, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था.

एक दशक बाद, अहमदियों को न केवल खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम के कुछ पहलुओं का पालन करने से भी रोक दिया गया.

पाकिस्तान में अहमदियों के खिलाफ हिंसा का सिलसिला पुराना रहा है. 1953 के लाहौर दंगे में माना जाता है कि 200 से 2000 के बीच अहमदिया समुदाय के लोगों की हत्या कर दी गई.

हिंदू समुदाय
पाकिस्तान में मुस्लिमों के बाद हिंदू सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है. के बाद हिंदू धर्म दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक संबद्धता है. हालांकि हिंदुओं की आबादी पाकिस्तान की जनसंख्या का सिर्फ़ 2.14% (लगभग 4.4 मिलियन लोग) है. उमरकोट जिले में देश में हिंदू निवासियों का प्रतिशत सबसे अधिक 52.2 फीसदी है, जबकि थारपारकर जिले में 714,698 हिंदुओं की संख्या सबसे अधिक है.

पाकिस्तान में हिन्दू मुख्यतः सिंध में केंद्रित हैं, जहां अधिकांश हिन्दू बस्तियां पाई जाती हैं.

भारत के विभाजन से पहले, 1941 की जनगणना के अनुसार, पश्चिमी पाकिस्तान (जो अब पाकिस्तान है) में हिंदुओं की आबादी 14.6% थी. वहीं पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 28% आबादी थी.

पाकिस्तान को ब्रिटिश राज से आजादी मिलने के बाद, पश्चिमी पाकिस्तान के 4.7 मिलियन हिंदू और सिख शरणार्थी के रूप में भारत चले आए. इसके बाद पहली जनगणना (1951) में, हिंदुओं की आबादी पश्चिमी पाकिस्तान की कुल आबादी का 1.6% और पूर्वी पाकिस्तान की 22% थी.

पाकिस्तान में अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के कई मामले सामने आए हैं. सख्त ईशनिंदा कानूनों के कारण हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार के मामले भी सामने आते रहते हैं.

सिख
1941 की जनगणना के अनुसार, सिख आबादी उस इलाके की जनसंख्या का लगभग 1.67 मिलियन या  6.1 प्रतिशत थी जो अंततः पाकिस्तान बन गया. सिख विशेष रूप से पश्चिमी पंजाब में केंद्रित थे, पाकिस्तान के समकालीन पंजाब प्रांत के भीतर, जहां सिख आबादी लगभग 1.15 मिलियन या कुल आबादी का 8.8 प्रतिशत थी.

विभाजन के दौरान पाकिस्तान में हुए भयंकर दंगों की वजह से कई बड़ी सिख आबादी पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब को छोड़कर भारत चली आई. 

पाकिस्तान में सिखों की आबादी को लेकर अलग-अलग मत हैं. पाकिस्तान सरकार के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण के अनुसार, 2012 में पाकिस्तान में 6,146  सिख पंजीकृत थे. सिख संसाधन और अध्ययन केंद्र के 2010 के एक सर्वेक्षण में पाकिस्तान में 50, 000 सिख के होने की बात कही गई. 

अमेरिकी विदेश विभाग सहित अन्य स्रोत दावा करते हैं कि पाकिस्तान में सिखों की आबादी 20,000 के करीब है. कुछ अन्य अनुमानों के मुताबिक यह 20 से 50 हजार के बीच हो सकती है. 

पाकिस्तान के अन्य अलपसंख्यों की तरह सिखों को भी भेदभाव, और अन्य चुनौतियों का समाना करना पड़ता है. 

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