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India China News: मक्कारी करना कोई चीन से सीखे, पड़ोसी देशों पर धौंस-डपट दिखाने के बाद गा रहा 'पंचशील' के गीत

Xi Jinping on Panchsheel Principles: दुनिया में भारत का जिस तरह से उभार हो रहा है, उससे चीन में अनजाना डर बढ़ रहा है. उसे लग रहा है कि अमेरिका तो उसका प्रतिद्वंदी है ही, पड़ोसी भारत भी उसकी राह में बड़ा रोड़ा बनने वाला है.  

India China News: मक्कारी करना कोई चीन से सीखे, पड़ोसी देशों पर धौंस-डपट दिखाने के बाद गा रहा 'पंचशील' के गीत
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Devinder Kumar|Updated: Jun 28, 2024, 10:57 PM IST

India China News in Hindi: पूर्वी लद्दाख में भारी हथियारों के साथ अपने 60 हजार से ज्यादा सैनिकों को तैनात करने के बावजूद भारत पर कोई असर न पड़ता देख चीन अब पैंतरे बदलकर दोस्ती के गीत गाता दिख रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को मगरमच्छ की तरह शांति और सद्भाव के गीत गाते हुए भारत के साथ 1954 में हुए पंचशील समझौते को याद किया. जिनपिंग ने पंचशील के सिद्धांत एशिया में पनपे और फिर जल्द ही पूरी दुनिया की जरूरत बन गए. उस समझौते ने दुनिया को एकजुट करने में बेहद मदद की है. 

पंचशील सिद्धांतों की 70वीं वर्षगांठ

चीनी राष्ट्रपति पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर बीजिंग में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने वर्तमान समय के संघर्षों का अंत करने के लिए पंचशील के सिद्धांतों की जरूरत पर बल दिया. इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ चीन के संघर्षों के बीच ‘ग्लोबल साउथ’ में अपने देश का प्रभाव बढ़ाने पर जोर दिया. 

शी ने कहा, 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था. अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों यानी 'एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, गैर-आक्रामकता, 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ', तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' को संपूर्णता के साथ पूरा किया था.' 

एशिया के सिद्धांतों को दुनिया ने अपनाया

जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए. उन्होंने कहा कि 1955 में बांडुंग सम्मेलन में 20 से अधिक एशियाई और अफ्रीकी देशों ने भाग लिया था. उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में उभरे गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने भी इन सिद्धांतों को मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर अपनाया. 

शी ने सम्मेलन में कहा, 'उन्होंने चीन-भारत और चीन-म्यामां संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया था. इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया गया था.' इस सम्मेलन में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे समेत चीन के करीबी देशों के नेता और अधिकारी शरीक हुए. 

भारत- चीन में 1954 में हुआ था समझौता

चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक पंचशील के सिद्धांतों पर पहली बार 29 अप्रैल, 1954 को चीन और भारत के बीच समझौता हुआ था. चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई जब सीमा मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रहे थे तब उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों पर सहमति जताई थी. 

ग्लोबल साउथ में पैठ बढ़ाने की कोशिश

बताते चलें कि चीन पिछले कई वर्षों से अमेरिका और यूरोपीय संघ से बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है. ऐसे में वह एशियाई, अफ्रीकी और लातिन अमेरिकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगा है. हालांकि यहां भी उसकी राह आसान नहीं है और भारत उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी बना हुआ है. छोटे विकासशील देशों को मोटे तौर पर ‘ग्लोबल साउथ’ कहा जाता है. शी ने कहा कि चीन ग्लोबल साउथ-साउथ सहयोग को बेहतर ढंग से समर्थन देने के लिए ग्लोबल साउथ अनुसंधान केंद्र की स्थापना करेगा.

(एजेंसी भाषा)

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