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Hiroshima Story: चंद पलों में 70000 मौतें, जमींदोज इमारतें, परमाणु हमले के बाद कैसे उठ खड़ा हुआ फौलादी हिरोशिमा

Japan Atomic Bomb Attack: अमेरिका का बमवर्षक विमान एलोना गे मारियाना द्वीप से उड़ा और ठीक सवा आठ बजे जापान के हिरोशिमा शहर के ऊपर पहुंच गया. उसने 'लिटिल बॉय' नाम का परमाणु बम गिरा दिया. यह बम 43 सेकंड हवा में रहा और बीच में फट गया. 

Hiroshima Story: चंद पलों में 70000 मौतें, जमींदोज इमारतें, परमाणु हमले के बाद कैसे उठ खड़ा हुआ फौलादी हिरोशिमा
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Rachit Kumar|Updated: May 20, 2023, 05:52 PM IST

US Atomic Attack on Japan: सुबह के 8 बज रहे थे. जापान में 6 अगस्त 1945 की सुबह किसी आम सुबह जैसी ही थी. लोग अपने रोजमर्रा के कामकाज में लगे थे. शायद ही तब जमीन पर किसी ने सोचा हो कि आसमान से कुछ ही देर बाद मौत बरसने वाली है. ऐसी मौत, जो न तो किसी ने पहले कभी देखी, न सुनी और न सोची. 

अमेरिका का बमवर्षक विमान एलोना गे मारियाना द्वीप से उड़ा और ठीक सवा आठ बजे जापान के हिरोशिमा शहर के ऊपर पहुंच गया. उसने 'लिटिल बॉय' नाम का परमाणु बम गिरा दिया. यह बम 43 सेकंड हवा में रहा और बीच में फट गया. अचानक मशरूम के आकार में आग का गोला बना और टेंपरेचर 3000-4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया.

मारे गए 70 हजार लोग

10 सेकंड के भीतर ही पूरा हिरोशिमा इसके आगोश में समा गया. कुछ ही पलों में हंसते-खेलते शहर के  70 हजार लोग काल के गाल में समा गए. कई तो ऐसे थे, जो भाप बन गए. आज हिरोशिमा की बात इसलिए हो रही है क्योंकि परमाणु हमले का दंश झेलने वाला यह शहर जी-7 देशों की बैठक की मेजबानी कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में पहुंचे हैं.

हिरोशिमा के बारे में काफी कुछ लिखा-पढ़ा जा चुका है. लेकिन अब जानिए कि परमाणु हमले के बाद यह शहर कैसे अगले कुछ ही घंटों में पटरी पर लौटने लगा.

 जिस जगह ये बम गिरा था, वहां से करीब 2.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थी वो बिल्डिंग जहां से शहर में पानी की सप्लाई होती थी. ब्लास्ट की वजह से इसकी छत और दीवारें गिर चुकी थीं. लेकिन राहत की बात थी कि जिस रिजर्वॉयर में इन पंप्स से सप्लाई होती थी, वह पानी से लबरेज था. लेकिन पंप्स दोबारा शुरू करना जरूरी था वरना रिजर्वॉयर सूख जाता. 

शुरू हुआ शहर का रिजर्वॉयर

तब सप्लाई डिविजन में इंजीनियर रहे कुरो होरिनो पंप पर पहुंचे और बैकअप पंप को चालू किया. वह खुद जख्मी थे लेकिन अपने साहस और फौलादी इरादों की बदौलत उन्होंने हिरोशिमा शहर का रिजर्वॉयर सूखने नहीं दिया. इस कारण शहर में पानी की कमी नहीं हुई.

लेकिन पुराने पंप्स को शुरू करने में चार दिन का समय लगा. अगले कुछ वर्षों में पानी की सप्लाई की मरम्मत का काम पूरा हुआ.

हिरोशिमा पीस इंस्टिट्यूट के मुताबिक, 7 अगस्त को शहर के रेलवे स्टेशन और उजीना एरिया में बिजली की सप्लाई शुरू हो गई थी. जो 30 परसेंट घर ब्लास्ट में खड़े रह गए थे, उसमें भी बिजली पहुंचा दी गई. नवंबर 1945 तक शहर के तमाम घर बिजली से रोशन थे. 

जिस जगह पर परमाणु बम गिरा था, उसके दो वर्ग किलोमीटर के इलाके में प्रलय जैसी स्थिति थी. लेकिन हिगाशी पुलिस स्टेशन की इमारत सुरक्षित बच गई थी. अगले कुछ घंटों में इसको रिलीफ ऑपरेशन सेंटर में तब्दील कर दिया गया, जहां रेडिएशन से प्रभावित और घायलों का इलाज किया जाने लगा.
 
एक लाइन तबाह हो जाने के बाद  अगले ही दिन कार और ट्रेन सेवा शुरू हो गई. 8  अगस्त को हिरोशिमा के पड़ोसी शहर योकोगावा तक ट्रेन सर्विस शुरू हो गई, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी आई.

बैंक ऑफ जापान में काम शुरू

बैंक ऑफ जापान की हिरोशिमा शाखा के करीब 18 लोग और फाइनेंस ब्यूरो के कई कर्मचारी जिंदगी की जंग हार गए थे.लेकिन बावजूद इसके दो दिन बाद ही बैंक में कामकाज फिर से शुरू हो गया. इमारत में बाकी 11 बैंकों को भी जगह दी गई, जिनकी बिल्डिंगें तबाह हो चुकी थीं.

अगले 10 साल में मलबा हटाकर शहर की ज्यादातर इमारतों को फिर से खड़ा कर लिया गया. आज इस शहर की आबादी 12 लाख है. यहां फूड प्रोसेसिंग, मोटरव्हीकल्स और मशीनरी इंडस्ट्री का बड़ा हब है. 1.6 किलोमीटर का जो इलाका परमाणु हमले में तबाह हो गया था, वहां आज गगनचुंबी इमारतें खड़ी हैं. यहां म्यूजियम और मेमोरियल पार्क भी बने हैं. लेकिन फिर भी इस शहर ने अपनी यादों को आज भी संभालकर रखा है. 

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