North Korea South Korea Tensions: दशकों की खोखली धमकियों के बाद, उत्तर कोरिया की अपने दुश्मनों को खत्म करने की कसमें खाना कोई नई बात नहीं है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में, कुछ प्रमुख विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि किम जोंग उन वास्तव में युद्ध की तैयारी को लेकर गंभीर हो सकते हैं.
दरअसल उत्तर कोरिया पर अपने शासन के 13वें वर्ष में, किम अधिक आक्रामक रूप अपना रहे हैं. उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमताओं और मिसाइल कार्यक्रम में काफी तेज प्रगति हुई है.
40 वर्षीय तानाशाह ने 2024 की शुरुआत में उत्तर कोरिया के संविधान से शांतिपूर्ण एकीकरण के लक्ष्य हटा दिया. उन्होंने घोषणा की कि उन्हें दक्षिण कोरिया का ‘विनाश’ करने का अधिकार है.
हालांकि इस तरह की आक्रामक बयानबाजी को आम तौर पर यह कहकर खारिज किया जा सकता है कि- किम 10 अप्रैल को होने वाले दक्षिण कोरियाई चुनावों से पहले सिर्फ दिखावा कर रहे हैं. लेकिन दो प्रमुख विश्लेषकों ने अपने लेख से उत्तर कोरिया पर नजर रखने वालों के बीच चर्चा का दौर शुरू किया है.
दो एक्सपर्ट ने किया बड़ा दावा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व सीआईए अधिकारी रॉबर्ट कार्लिन और परमाणु वैज्ञानिक सिगफ्रीड हेकर ने 2024 की शुरुआत में वेबसाइट 38 नॉर्थ पर लिखा, ‘1950 में अपने दादा की तरह, किम जोंग उन ने युद्ध में जाने का रणनीतिक निर्णय ले लिया है.’ हालांकि उन्होंने यह अनुमान नहीं लगाया कि यह कितनी जल्दी हो सकता है.
हालांकि कार्लिन और हेकर के विचार से हर कोई सहमत नहीं है. अधिकांश विश्लेषकों का तर्क है कि कोई भी पूर्ण पैमाने का हमला हताशा या आत्महत्या का कदम होगा. दक्षिण कोरिया और अमेरिका का जवाब किम परिवार के लगभग आठ दशक लंबे शासन खत्म कर देगा.
लेकिन यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे कई संघर्षों के साथ, अगर यह युद्ध होता है तो दुनिया लड़खड़ा सकती है - न केवल कोरियाई प्रायद्वीप, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से चिप सप्लाई चेन के लिए विनाशकारी परिणाम. हो सकते हैं.
क्यो जोखिम उठाएंगे किम
सभी अटकलों पर सियोल की प्रतिक्रिया स्पष्ट रही है: दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में कहा था, ‘अगर किम शासन पूरी तरह से युद्ध करता है तो उसका अंत हो जाएगा.’
किम जोंग उन द्वारा 1950 की तरह का आक्रमण का जोखिम उठाने की संभावना नहीं है. लेकिन उनके छोटे-छोटे उकसावे नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं.
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने जनवरी में कहा था, ‘अगर उत्तर कोरिया उकसावे की कार्रवाई करता है, तो हम उसे कई बार दंडित करेंगे.’
दक्षिण कोरियाई नेता ने किम के शासन के प्रति सख्त रुख अपनाया है और सैन्य अभ्यास के साथ उसके उकसावे का जवाब दिया है, अक्सर ताकत के प्रदर्शन में अमेरिका को शामिल किया जाता है.
अगर हुआ सियोल पर हमला तो...
सियोल उत्तर कोरिया की 51 मिलियन आबादी में से लगभग आधे लोगों का घर है. उत्तर कोरिया ने दशकों तक विसैन्यीकृत क्षेत्र के उत्तर में लाखों राउंड तोपें और हजारों रॉकेट जमा किए हैं, जो दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े शहर से लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) दूर है.
यह सीमा क्षेत्र दक्षिण कोरिया की 1.67 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लगभग 70% का घर है. यह सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक और किआ कॉर्प सहित दुनिया की कुछ टॉप टेक्नोलजी और मैन्यूफैक्चरिंग शक्तियों का बेस है. यहां तक कि एक संक्षिप्त संघर्ष भी गूंज सकता है. इस इलाके में एक छोटा सा संघर्ष भी ग्लोबल सप्लाई चेन को बाधित कर देगा जिससे ग्लोबल इकॉनोमी बाधित होगी.
किम अगर युद्ध शुरू करते हैं
यदि किम युद्ध शुरू करते हैं तो वह सियोल में प्रमुख सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक ठिकानों पर तोपखाने से हमला करेगा. उसी समय, दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, किम की स्पेशल यूनिट में अनुमानित 200,000 सैनिक भूमि, समुद्र, वायु और यहां तक कि सुरंग के माध्यम से सीमा पार करने की कोशिश करेंगे. एक टारगेट सियोल के केंद्र से होकर बहने वाली हान नदी पर बने पुलों को निशाना बनाना होगा. ऐसा करने से शहर आधा कट जाएगा और लाखों लोगों के लिए प्रायद्वीप के कम आबादी वाले दक्षिणी छोर की ओर भागना मुश्किल हो जाएगा.
दक्षिण कोरिया भी है तैयार
लेकिन पहले हमला करने में उत्तर कोरिया की बढ़त लंबे समय तक नहीं रहेगी. दक्षिण कोरिया भी लड़ने के लिए तैयार है: उसके पास आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए पैट्रियट डिफेंस सिस्टम, 555,000 एक्टिव-ड्यूटी सैनिक और एक सैन्य बजट है जो उत्तर कोरिया की संपूर्ण प्रतिबंधों से तबाह अर्थव्यवस्था से भी बड़ा है.
दक्षिण कोरिया में 28,500 अमेरिकी सैनिक भी मौजूद हैं, साथ ही अमेरिकी जासूसी उपग्रह लगातार कोरियाई प्रायद्वीप की निगरानी कर रहे हैं.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज ने दुनिया की सेनाओं की 2023 की अपनी समीक्षा में कहा कि हालांकि उत्तर कोरिया के पास जनशक्ति का लाभ है, लेकिन उसकी अधिकांश सेनाएं सोवियत संघ के दिनों से चले आ रहे ‘उपकरणों’ पर निर्भर हैं.
अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा, ‘ईंधन और परिवहन संसाधनों की कमी, संचार की जमीनी लाइनों का खराब रखरखाव और अपर्याप्त ट्रेनिंग - बड़े पैमाने पर पारंपरिक आक्रामक अभियानों को बनाए रखने की उत्तर कोरिया की क्षमता को बाधित करते हैं.’
परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावना नहीं
पिछले साल सार्वजनिक किए गए अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया अनुमान में कहा गया था कि किम अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल तभी करेंगे जब उन्हें लगता है कि वह और उनका शासन खतरे में है.
अमेरिकी राष्ट्रीय निदेशक इंटेलिजेंस एवरिल हेन्स ने मार्च में कांग्रेस को बताया, ‘अभी हमारा विश्लेषण, प्रभावी रूप से, यह है कि वह तेजी से उत्तेजक व्यवहार में शामिल होगा, लेकिन इसे पूर्ण युद्ध में बदलने में कोई दिलचस्पी नहीं है और इस पर एक तरह की सीमा है.’
यदि व्यापक उत्तर कोरियाई हमले की संभावना बनी तो दक्षिण कोरिया सियोल के दक्षिण में नई बंकर-बस्टर मिसाइलों और लड़ाकू जेट के स्क्वाड्रन को तैनात करने का लक्ष्य रखेगा. गुआम में अमेरिकी बमवर्षक और जापान में स्थित जहाज और लड़ाकू विमान भी दक्षिण कोरिया की मदद के लिए आ सकते हैं.
दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन उत्तर कोरिया की अधिक से अधिक संपत्तियों को नष्ट करने की उम्मीद में कमांड सेंटरों, हथियार भंडारण स्थलों, रॉकेट लॉन्चरों, राडार, सैन्य बंकरों, मिसाइल साइलो और परमाणु भंडारण सुविधाओं को टारगेट करने के लिए हवाई ताकत का उपयोग करेगा.
क्या युद्ध होकर ही रहेगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या युद्ध होकर रही रहेगा या इसे रोका जा सकता है. अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि किम की अधिक तीखी बयानबाजी सिर्फ तेज-तर्रार बयानबाजी है, जिसका उद्देश्य दक्षिण कोरिया के चुनावों को प्रभावित करना, पश्चिम को अस्थिर करना या अधिक रियायतें हासिल करना है.
किम अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं. वह यूक्रेन में युद्ध के लिए लाखों तोपखाने के गोले रूस को बेच रहे हैं. यह एक और संकेत हो सकता है कि किम वास्तव में युद्ध नहीं चाहते हैं, अगर वह चाहते तो उन्हें अपनी रक्षा के लिए हथियारों की कमी होने का जोखिम होगा.
इसके अलावा, ज्यादा संभावना इसी बात की है कि डोनाल्ड ट्रंप यूएस के अगले राष्ट्रपति बनेंगे. वह किम से तीन बार मिल चुके हैं और आम तौर पर उत्तर कोरिया के साथ बेहतर संबंधों की मांग करते हैं.
किम ने यह भी संकेत दिया है कि उनके पास अपने परिवार के लिए उस देश पर शासन जारी रखने की दीर्घकालिक योजना है. उन्होंने संकेत दिया है कि उनकी बेटी अब से दशकों बाद सत्ता की बागडोर संभाल सकती है.
सियोल में ट्रॉय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध व्याख्याता और अमेरिकी वायु सेना के पूर्व कोरियाई भाषाविद् डैनियल पिंकस्टन के अनुसार, अगर किम वास्तव में युद्ध की तैयारी कर रहे होते तो उन्होंने पहले ही दक्षिण कोरिया पर आक्रमण कर दिया होता. उन्होंने कहा, एक सरल व्याख्या यह है कि उत्तर कोरिया ऐसा करने से कतरा रहा है.