trendingNow12324882
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

Iran: ईरान में कैसे हुई कट्टरपंथ की हार.. सुधारवादी पजेशकियान पर जनता ने क्यों जताया भरोसा?

Iran election: ईरान ने अपना अगला राष्ट्रपति चुन लिया है. नतीजों में मसूद पजेशकियान ने जीत दर्ज की. पजेशकियान ने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को 30 लाख वोटों से हरा दिया. ये हार जलीली की नहीं है बल्कि ईरान में कट्टरपंथ की भी हार है.

Iran: ईरान में कैसे हुई कट्टरपंथ की हार.. सुधारवादी पजेशकियान पर जनता ने क्यों जताया भरोसा?
Stop
Gunateet Ojha|Updated: Jul 06, 2024, 10:56 PM IST

Iran election: ईरान ने अपना अगला राष्ट्रपति चुन लिया है. नतीजों में मसूद पजेशकियान ने जीत दर्ज की. पजेशकियान ने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को 30 लाख वोटों से हरा दिया. ये हार जलीली की नहीं है बल्कि ईरान में कट्टरपंथ की भी हार है. पजेशकियान सुधारवादी नेता रहे हैं और उन्होंने हिजाब को लेकर हुए आंदोलन का समर्थन किया था. आइये जानते हैं ईरान में इस सियासी बदलाव का भारत के साथ रिश्तों पर क्या असर होगा..

मसूद पजेशकियान ईरान के नए राष्ट्रपति बन गए हैं, शुक्रवार को ईरान में दूसरे चरण की वोटिंग हुई थी, जिसके नतीजे शनिवार को आए. नतीजों में पजेशकियान ने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को पूरे 30 लाख वोटों से हरा दिया. पजेशकियान, ईरान के 9वें राष्ट्रपति बने हैं. दूसरे चरण की वोटिंग में ईरान के करीब 3 करोड़ लोगों ने वोट किया था. 

दूसरे चरण की वोटिंग में कुल 3 करोड़ वोट पड़े थे. जबकि जीत के लिए 50 फीसदी यानी 1 करोड़ 50 लाख वोट चाहिए थे. सईद जलीली को 1 करोड़ 36 लाख वोट मिले, जबकि मसूद पजेशकियान को 1 करोड़ 64 लाख वोट मिले और वो 30 लाख वोटों से जीत गए. ईरान में नियम है कि राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार का 50 फीसदी वोट हासिल करना जरूरी है, क्योंकि 28 मई को पहले चरण की वोटिंग हुई थी. जिसमें किसी भी उम्मीदवार को आधे से ज्यादा वोट नहीं मिले थे. इसलिए 5 जुलाई को दूसरे चरण की वोटिंग हुई. जिसमें पजेशकियान जीत गए. पजेशकियान की जीत ईरान में कट्टरपंथ के खिलाफ है और महिलाओं के लिए नई शुरूआत के तौर पर देखी जा रही है.

मसूद पजेशकियान ने 1,63,84,403 वोट जीते और मिस्टर सईद जलीली को 1,35,38,179 वोट मिले. इन नंबरों के आधार पर मसूद पजेशकियान को 14वें राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित किया गया है. पजेशकियान की जीत में महिलाओं की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. क्योंकि, ईरान में कुल 6 करोड़ 10 लाख मतदाता हैं. जिनमें महिलाएं आधे से ज्यादा हैं. वैसे भी वर्ष 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में हिजाब का विरोध हो रहा था. तब पजेशकियान ने ईरान की सत्ता के खिलाफ जाकर महिलाओं का समर्थन किया था. हिजाब के विवाद को गलती बताया था. 

इतना ही नहीं जब ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव का ऐलान हुआ, तब भी पजेशकियान ने हिजाब को मुद्दा बनाया था. जिससे उन्हें महिलाओं का समर्थन हासिल हुआ. उन्होंने कहा कि 40 साल हो गए हैं जब से हमने हिजाब के मुद्दे को ठीक करने की कोशिश की है और जिस तरह से इन लोगों (सरकार) ने काम किया है. क्या हमने पूरी ईमानदारी से इसे ठीक कर दिया है या इसे और भी बदतर बना दिया है ?

हिजाब लंबे समय से धार्मिक पहचान का प्रतीक है, लेकिन ईरान में हिजाब एक राजनीतिक हथियार भी रहा है. 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान में जब से हिजाब का कानून लागू हुआ था, तब से महिलाएं अलग-अलग तरह से इसका विरोध करती रही हैं. हिजाब को लेकर महिलाओं को पजेशकियान का साथ मिला, वैसे भी पजेशकियान को सुधारवादी नेता के तौर पर देखा जाता है. हालांकि, अमेरिका को लेकर पजेशकियान का रवैया सख्त है, वो अमेरिका को ईरान का कट्टर दुश्मन मानते हैं. वैसे पजेशकियान राजनेता से पहले एक डॉक्टर हुआ करते थे. 

- मसूद पजेशकियान ईरान के किंग रेजा शाह के दौर में सेना में थे.
- 1980 में इराक से युद्ध के दौरान मसूद ने घायलों का इलाज किया
- इराक से जंग के बाद मसूद कार्डियक सर्जरी के एक्सपर्ट बन गये
- वर्ष 1994 में मसूद की पत्नी और बेटी की कार एक्सीडेंट में मौत हुई
- पत्नी और बेटी की मौत के 3 साल बाद मसूद ने राजनीति में एंट्री की
- मोहम्मद खतामी के कार्यकाल में पजेशकियान स्वास्थ्य मंत्री बने थे

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की 19 मई को हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी, जिसके बाद चुनाव का ऐलान किया गया था. हालांकि, पजेशकियान के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान और भारत के रिश्ते कैसे होंगे, इसपर सबकी नज़र है. वर्ष 2011 में भी पजेशकियान ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन तब 2012 में रईसी को राष्ट्रपति बनाने के लिए पजेशकियान समेत बाकी उम्मीदवारों पर बैन लगा दिया गया था.

Read More
{}{}