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India Maldives: धरी रह गई चीन की रणनीति, मालदीव से नहीं हटेंगे विमान और हेलीकॉप्टर; भारत ने ऐसे पलटा खेल

India Maldives Latest News: मालदीव से भारत की सैन्य उपस्थिति खत्म करने की चीन की कोशिश धरी रह गई है. भारत ने अपनी जबरदस्त कूटनीति से पूरा खेल पलट दिया है.   

India Maldives: धरी रह गई चीन की रणनीति, मालदीव से नहीं हटेंगे विमान और हेलीकॉप्टर; भारत ने ऐसे पलटा खेल
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Devinder Kumar|Updated: Feb 28, 2024, 04:58 PM IST

India Maldives Hindi News: मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू को अपने जाल में फंसाकर वहां से भारत के पैर उखाड़ने की कोशिश कर रहे चीन को करारा झटका लगा है. अपनी शानदार कूटनीति से बीच का रास्ता निकालते हुए भारत ने मालदीव में सैन्य उपस्थिति पर बीच का रास्ता निकाल लिया है. भारत की इस डिप्लोमेसी से मालदीव भी संतुष्ट है. वहीं भारत के इस रणनीतिक कदम से ड्रैगन हैरान- परेशान है. अब मालदीव में भारतीय नौसेना के डॉर्नियर विमान, हेलीकॉप्टर, बोट्स और दूसरे सैन्य उपकरण बने रहेंगे. 

मोइज्जू को कराया गया सच्चाई का अहसास

चीन के दबाव में राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने मालदीव में तैनात भारतीय नौसैनिकों को निकालने के लिए 10 मार्च की समय सीमा तय की थी. मोइज्जू की इस डेडलाइन के साथ ही भारतीय कूटनीति भी शुरू हो गई थी. बैक डोर चैनल के जरिए मालदीव सरकार को समझाया गया कि भारतीय नौसैनिकों के हेलीकॉप्टर- विमान मालदीव के लोगों को मेडिकल इमरजेंसी में मदद देने के लिए हैं. अगर वहां से इन्हें हटा दिया गया तो इसका खामियाजा मालदीव के लोगों को ही भुगतना होगा.

भारतीय सिविलियन पायलटों की टीम मालदीव पहुंची

आखिरकार नफे- नुकसान दोनों पर विचार करने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू को यह बात समझ में आ गई. हालांकि जनता में अपनी छवि बचाने के लिए उन्होंने भारत से बीच का रास्ता निकालने का अनुरोध किया. इसके बाद भारत ने उनके सामने विमान- हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले नौसैनिकों को हटाकर उनकी जगह सिविलियन पायलटों को भेजने का प्रस्ताव रखा तो मालदीव ने उसे मान लिया. इस रजामंदी के बाद भारतीय सिविलियन पायलटों और क्रू मेंबर की पहली टीम आज बुधवार को मालदीव की राजधानी मालदीव पहुंच गई. 

दोनों देशों के बीच 2 फरवरी को हुई थी बैठक

मालदीव के एक समाचार पोर्टल themaldivesjournal.Com ने मालदीव रक्षा मंत्रालय के एक बयान के हवाले से यह जानकारी दी. पोर्टल ने लिखा, 'भारतीय नागरिक टीम हैंडओवर/टेकओवर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कल रात (मंगलवार) को जल्दी अड्डू पहुंच गई.'

मालदीव में सैन्य उपस्थिति कम करने के मुद्दे पर दोनों दोनों देशों के बीच 2 फरवरी को दिल्ली में एक हाई लेवल बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया था कि भारत 10 मई तक मालदीव में तीन एविएशन  प्लेटफार्मों का संचालन करने वाले अपने सैन्य कर्मियों को बदल देगा. बयान में यह भी कहा गया था कि इस प्रक्रिया का पहला चरण 10 मार्च तक पूरा हो जाएगा.

मालदीव में तैनात हैं कुल 88 भारतीय सैन्यकर्मी

यह पता चला है कि भारतीय सैन्य कर्मियों की जगह उन सिविलियन पायलटों और क्रू मेंबर्स को भेजा जा रहा है, जिनके पास तीन प्लेटफार्मों के संचालन में विशेषज्ञता है. मालदीव के अलग- अलग हिस्से में बने इन तीनों एविएशन प्लेटफॉर्मों में कुल 88 भारतीय सैन्यकर्मी तैनात हैं. वे वहां पर मालदीव की सेना को उपहार में दिए गए 2 हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान का इस्तेमाल मालदीव के लोगों को मेडिकल इमरजेंसी देने में कर रहे हैं. 

भारत ने शांत कूटनीति से निकाला समाधान

भारत के इस मूव को चीन के लिए करारा जवाब माना जा रहा है. मालदीव में 'इंडिया आउट' अभियान के बल पर राष्ट्रपति बने मोहम्मद मोइज्जू ने इलेक्शन जीतते ही चीन के इशारे पर भारत को अल्टीमेटम दे दिया था. हालांकि भारत इससे विचलित नहीं हुआ और उसका व्यवहार संयत बना रहा. उसने हर बार आपसी बातचीत से मसले का हल निकालने की बात कही और अंतत मोइज्जू को 'सच्चाई' का अहसास दिलाने में कामयाब रहा.

दोनों देशों के बीच समझौते के अनुसार दोनों विमानन प्लेटफार्मों पर काम कर रहे शेष भारतीयों को 10 मई तक वापस ले लिया जाएगा.
समाचार पोर्टल ने यह भी कहा कि वहां मौजूद हेलीकॉप्टर को मरम्मत के लिए भारत ले जाया जाएगा. उससे पहला एक भारतीय जहाज नया हेलीकॉप्टर लेकर आज अड्डू पहुंच रहा है. रक्षा मंत्रालय के बयान का हवाला देते हुए आगे कहा गया, भारतीय सैनिक दोनों देशों द्वारा सहमत तारीखों पर मालदीव से हट जाएंगे.

भारत के लिए बेहद अहम है मालदीव

मालदीव की भारत से निकटता, लक्षद्वीप में मिनिकॉय द्वीप से बमुश्किल 70 समुद्री मील और मुख्य भूमि के पश्चिमी तट से 300 समुद्री मील की दूरी, और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के माध्यम से चलने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र पर इसका स्थान इसे महत्वपूर्ण बनाता है. सामरिक महत्व.

बता दें कि हिंद महासागार में मालदीव भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी है और मोदी सरकार की योजना SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी जैसी पहलों में एक विशेष स्थान रखता है. भारत के लक्षद्वीप समूह के मिनिकॉय द्वीप से मालदीव की दूरी बमुश्किल 70 समुद्री मील है. खाड़ी देशों से मलक्का जलडमरू होते हुए सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस, चीन, जापान, कोरिया जाने वाले मार्ग पर होने के कारण मालदीव की जियोग्राफिकल लोकेशन बेहद खास जाती है. 

चीन की नहीं गल पाई मालदीव में दाल

यही वजह है कि मालदीव को प्रभाव में लेकर चीन वहां पर अपना नौसैनिक अड्डा बनाने की फिराक में है, जिससे वह हर वक्त भारत पर नजर रख सके और संघर्ष की स्थिति में उसे बढ़त मिल जाए. लेकिन मोदी सरकार ने अपनी जबरदस्त कूटनीति से उसे फिर मात दे दी है. मोहम्मद मोइज्जू के तमाम अल्टीमेटम और चीन की खूब कोशिशों के बावजूद भारतीय नौसेना की तमाम मशीनरी पूरी शान के साथ वहां बनी रहेगी और वहां चीन की दाल नहीं गलने देगी.

(एजेंसी एएनआई)

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