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Swiss Summit: स्विस शांति सम्मेलन में शामिल होने वाला भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश, क्या है इस आयोजन का मकसद?

Swiss Ukraine Peace Summit: कुल 90 से अधिक देशों ने शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है. रूस को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया है 

Swiss Summit: स्विस शांति सम्मेलन में शामिल होने वाला भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश, क्या है इस आयोजन का मकसद?
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Manish Kumar.1|Updated: Jun 15, 2024, 03:25 PM IST

Swiss Ukraine Peace Summit News: स्विट्जरलैंड के ल्यूसर्न शहर के निकट बुर्गेनस्टॉक रिजॉर्ट में इस वीकेंड यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन आजोजित हो रहा है. भारत भी इसमें हिस्सा ले रहा है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक आयोजकों द्वारा जारी प्रतिभागी देशों की सूची के अनुसार, भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है जो सम्मेलन में हिस्सा ले रहा है. शिखर सम्मेलन का उद्देश्य यूक्रेन में शांति की राह तैयार करना है

कुल 90 से अधिक देशों ने शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है. इनमें आधे यूरोप से हैं. संयुक्त राष्ट्र सहित कई संगठन भी सम्मेलन में शामिल होंगे. रूस को आमंत्रित नहीं किया गया है जबकि चीन और पाकिस्तान अपनी मर्जी से वार्ता में शामिल नहीं होंगे.

कौन-कौन जा रहा है?
भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर करेंगे.  ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सम्मेलन में मौजूद होंगे.

पुतिन ने रखी युद्धविराम की शर्तें
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सम्मेलन की पूर्व संध्या पर 14 जून को कहा कि रूस की तरफ से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने करने के लिए दो शर्तें कीव के सामने रखीं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को NATO महत्वाकांक्षाओं को त्यागना होगा और मास्को द्वारा जिन चार प्रांतों पर दावा जताया जाता है उन्हें रूस को सौंपना होगा. रॉयटर्स के मुताबिक कीव ने इन मांगों को सरेंडर के जैसा बताते हुए तुरंत खारिज कर दिया.

'शर्तें बहुत सरल हैं'
पुतिन ने कहा, 'शर्तें बहुत सरल हैं.' उन्होंने पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में - डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों की पूर्ण वापसी की बात कही.

रूस ने 2022 में अपने क्षेत्र के रूप में चार क्षेत्रों पर दावा किया, जिन पर उसके सैनिकों का केवल आंशिक नियंत्रण है और जिसे संयुक्त राष्ट्र में अधिकांश देशों ने अवैध करार दिया है.

मास्को ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया.

'उसी पल संघर्ष विराम हो जाएगा'
पुतिन ने कहा, 'जैसे ही वे कीव में घोषणा करते हैं कि वे इस तरह के निर्णय के लिए तैयार हैं. वे जब इन क्षेत्रों से सैनिकों की वास्तविक वापसी शुरू करेंगे और आधिकारिक तौर पर नाटो में शामिल होने की अपनी योजनाओं को छोड़ने की घोषणा करेंगे - हमारी तरफ से, तुरंत, सचमुच उसी क्षण, संघर्ष विराम और बातचीत शुरू करने का आदेश दिया जाएगा.'

रूसी राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं दोहराता हूं, हम इसे तुरंत करेंगे. स्वाभाविक रूप से, हम एक साथ यूक्रेनी इकाइयों और संरचनाओं की निर्बाध और सुरक्षित वापसी की गारंटी देंगे.'

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Photo courtesy- Reuters

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