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India China News: मोदी सरकार की 'साइलेंट स्ट्रैटजी', जिसने चीन को दे दिया बड़ा झटका; अपना सिर पीट रहे जिनपिंग

India China News in Hindi: भारत ने 'साइलेंट स्ट्रैटजी' अपनाकर चीन को बहुत बड़ा झटका दे दिया है. इस झटके के बाद से चीन तिलमिलाया हुआ है लेकिन असर इतना गहरा है कि वह कुछ कह भी नहीं पा रहा है.  

India China News: मोदी सरकार की 'साइलेंट स्ट्रैटजी', जिसने चीन को दे दिया बड़ा झटका; अपना सिर पीट रहे जिनपिंग
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Devinder Kumar|Updated: Jul 26, 2024, 09:30 PM IST

India China Latest News: यह तो सब जानते हैं कि 21वीं सदी को एशिया ही लीड करेगा. लेकिन एशिया का वह मुल्क कौन होगा, जो दुनिया का नया लीडर बनेगा. इसके लिए भारत और चीन में कड़ी प्रतिद्वंदिता चल रही है. चीन जहां पिछले 50 सालों में विकास कार्यों में बहुत आगे निकल चुका है, वहीं भारत भी देर से ही सही लेकिन तेज स्पीड और स्मार्ट स्ट्रेटजी अपनाकर अब ड्रैगन को मात देने लगा है. मोदी सरकार ने हाल ही में चीन को इतना बड़ा झटका दिया है कि वहां के तानाशाह राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपना सिर पीट रहे हैं. 

हासिल किया बांग्लादेश के बंदरगाह का अधिकार

असल में भारत ने चीन को रणनीतिक मात देकर बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के एक टर्मिनल को परिचालन का अधिकार हासिल कर लिया है. एक्सपर्टों के मुताबिक यह भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी है. इसके लिए दोनों देशों में कड़ी प्रतिद्वंदिता चल रही थी लेकिन भारत ने आखिरकार यह सौदा हासिल कर लिया है. बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर मौजूद बांग्लादेश के अहम बंदरगाह के परिचालन का अधिकार मिलने से भारत की समुद्री दौड़ को बड़ा बढ़ावा मिलेगा. मोंगला बंदरगाह पर टर्मिनल का मैनेजमेंट इंडियन पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) द्वारा किया जाएगा.

विशेषज्ञों के मुताबिक हाल के वर्षों में यह तीसरा अहम विदेशी बंदरगाह है, जिसके परिचालन का अधिकार भारत ने हासिल किया है. पहला बंदरगाह ईरान का चाबहार और दूसरा म्यांमार का सितवे था. इन तीनों विदेशी बंदरगाहों के संचालन का अधिकार मिलने से दुनिया में भारत का प्रभाव भी बढ़ा है. भारत और बांग्लादेश के बीच इस बंदरगाह को लेकर हुए समझौते का विवरण अभी सामने नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि इस एग्रीमेंट से दोनों देशों को बेहद फायदा होगा. 

चीन और भारत में कड़ी प्रतिद्वंदिता

एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन हिंद महासागर में बसे देशों के 17 बंदरगाहों के निर्माण- परिचालन में किसी न किसी रूप में शामिल है. इन 17 में से 13 बंदरगाहों का निर्माण तो वह खुद कर रहा है. कहने के लिए तो इन बंदरगाहों का निर्माण वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए किया जाता है लेकिन चीन इन बंदरगाहों का दोहरा इस्तेमाल करता है. वह बंदरगाहों के जरिए हिंद महासागर में भारतीय नौसेना समेत दूसरे देशों की नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी करता है. जरूरत पड़ने पर वह इन बंदरगाहों की सुरक्षा के नाम पर अपनी नौसेना को बुलाकर हमेशा के लिए पास के समुद्र में तैनात कर सकता है, जिससे भारत के लिए खतरा बढ़ जाएगा.

भारत को घेरने के लिए वह पिछले काफी समय से मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश पर डोरे डालने में लगा है, जिससे उनके बंदरगाह चीन को मिल जाएं और वह एक बहाना तैयार कर अपनी नौसेना को भारत के मुहाने तक पहुंचा सके. इसी प्लान के तहत उसने म्यांमार से सितवे और बांग्लादेश से मोंगला बंदरगाह लेने की कोशिश की थी लेकिन भारत की स्मार्ट रणनीति की वजह से दोनों देशों में मुंह की खानी पड़ी.

भारत की रणनीति से चीन को झटका

भारत ने बैक चैनल के जरिए दोनों देशों को साफ समझा दिया कि वह उनके सुख-दुख का पक्का साथी है. लेकिन चीन केवल भारत से दुश्मनी निकालने के लिए उन्हें मोहरे के रूप में यूज करना चाहता है. उसका दोनों देशों के विकास से कोई मतलब नहीं है. ऐसे में चीन को अपना बंदरगाह देकर वे भारत से स्थाई दुश्मनी मोल ले बैठेंगे और साथ ही अपना एक भरोसेमंद दोस्त खो देंगे. 

भारत की सीधी-सपाट बात दोनों देशों के समझ आ गई और उन्होंने चीन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. इससे चीन को करारा झटका लगा है. डिफेंस एक्सपर्टों के मुताबिक मोंगला पोर्ट मिलने से एशिया में भारत का दबदबा और बढ़ जाएगा. वह लगातार हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों पर अपना प्रभाव बढ़ाने में जुटा है. इसके साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है. 

'ड्रैगन' को ऐसे पटखनी दे रहा भारत

चीन ने श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए लीज पर ले लिया तो भारत अब दक्षिण निकोबार द्वीप समूह में नया सैन्य-आर्थिक निवेश क्षेत्र कर रहा है. वहीं मालदीव के चीनी पाले में जाते देख वह उसके साथ सटे अपने लक्षद्वीप में नौसेना अड्डा तैयार करना शुरू कर दिया, ताकि अगर चीनी नेवी ने कभी कोई हिमाकत करने की कोशिश की तो वह उसे अरब सागर में ही डुबो सके. 

हिंद महासागर के देशों में अपने पैर मजबूत करने के लिए चीन लगातार छोटे देशों को अपने प्रभाव में लेकर वहां बंदरगाह और ढांचागत सुविधाओं के विकास में लगा है. उसने पाकिस्तान में ग्वादर से लेकर पूर्वी अफ्रीका में जिबूती तक कई बंदरगाहों में निवेश कर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. इस मामले में भारत अभी हल्का बना हुआ है. हालांकि इस कमी को पूरा करने के लिए उसने अब अपनी रफ्तार तेज कर दी है. 

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