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Fact Check: 'इस्लाम की यूरोप में जगह नहीं', क्या इटली की PM ने दिया ये विवादित बयान?

Giorgia Meloni Controversial Remarks: जॉर्जिया मेलोनी का बयान बताकर वायरल किया जा रहा है कि इटली में जो इस्लामिक सेंटर हैं उन्हें वह देश फंड करता है. इसके जरिए हमारे मूल्यों का इस्लामीकरण किया जा रहा है. आइए इस बयान की सच्चाई जानते हैं.

Fact Check: 'इस्लाम की यूरोप में जगह नहीं', क्या इटली की PM ने दिया ये विवादित बयान?
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Vinay Trivedi|Updated: Dec 18, 2023, 12:14 PM IST

Giorgia Meloni On Islam: इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने इस्लाम पर विवादित बयान दिया है. ऐसा सोशल मीडिया पर तेजी वायरल किया जा रहा है. लेकिन कोई भी राय बनाने से पहले इसकी सच्चाई जान लेना जरूरी है. दावा किया जा रहा है कि मेलोनी ने कहा कि यूरोप में इस्लाम की कोई जगह नहीं है. इस्लामिक कल्चर और यूरोपियन संस्कृति के बीच कंपैटिबिलिटी नहीं है. दोनों की सभ्यता में मूल्य और अधिकार अलग-अलग तरह के हैं. लेकिन सच ये है कि ये कोई हालिया बयान नहीं है. काफी पहले उन्होंने ये बात कही थी.

मेलोनी के विवादित बयान का सच

दावा किया जा रहा है इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने रोम में एक कार्यक्रम की मेजबानी करते वक्त इस्लाम को लेकर विवादित बयान दिया है. हालांकि, ये साफ हो चुका है कि मेलोनी का ये बयान काफी पुराना है. पर सोशल मीडिया पर उसे नया बताकर परोसा जा रहा है. बताया गया कि ये पॉलिटिकल फेस्टिवल एक दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की तरफ से आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी शिरकत की थी.

शरणार्थियों पर सुनक की दो टूक?

ये भी कहा जा रहा है कि इस पॉलिटिकल फेस्टिवल में ऋषि सुनक ने कहा कि वह शरणार्थियों को शरण दिए जाने के सिस्टम में सुधार पर जोर देंगे. साथ ही ये चेतावनी भी उन्होंने दी कि शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से खतरा है. यह यूरोप के कुछ हिस्सों पर असर डाल सकता है. चेताते हुए सुनक ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर हमारे देशों में शरणार्थियों को भेज रहे हैं, जिससे कि हमारे समाज को अस्थिर किया जा सके.

क्या शरणार्थी कानूनों में बदलाव की वकालत?

ऋषि सुनक ने आगे कहा कि अगर हम इस समस्या से नहीं निपटते हैं, तो संख्या और बढ़ेगी. यह हमारे देशों और उन लोगों की मदद करने की क्षमता पर असर डालेगी, जिन्हें वास्तव में हमारी मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है. अगर इसके लिए हमें अपने कानूनों को संशोधित करने की जरूरत है और तो इसके लिए दुनिया के साथ संवाद और शरण देने की प्रणाली में सुधार की जरूरत है. हमें इस पर आगे बढ़ना चाहिए.

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