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खुशखबरी: हर मरीज का कैंसर हो जाएगा 'गायब', दवा के ट्रायल में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे

Cancer Treatment: कैंसर आज भी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है. वहीं अब एक ऐसी दवा का ट्रायल हुआ है जिससे हर मरीज को कैंसर से छुटकारा मिला है. 

खुशखबरी: हर मरीज का कैंसर हो जाएगा 'गायब', दवा के ट्रायल में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे
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Zee News Desk|Updated: Jun 07, 2022, 04:50 PM IST

Cancer Treatment: मेडिकल साइंस हर दिन नए चमत्कार कर रहा है. ऐसे में एक बार फिर एक उल्लेखनीय उपलब्धि सामने आई है. मलाशय के कैंसर यानी रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer) के इलाज के लिए एक दवा की शुरुआती ट्रायल में शामिल हुए हर मरीज को अपनी बीमारी से छुटकारा मिला है. 

12 मरीजों का हुआ ट्रायल 

यह ट्रायल छोटा सा था जिसमें सिर्फ 12 मरीजों को लिया गया. हालांकि, मरीज और डॉक्टर परिणाम देखकर दंग रह गए. परीक्षण के दौरान, रोगियों ने छह महीने तक डोस्टारलिमैब (dostarlimab) दवा ली. निर्धारित अवधि के बाद, प्रतिभागियों के स्कैन पूरी तरह से स्पष्ट हो गए और उनके शरीर में किसी तरह का कोई कैंसर नहीं था. यह रिसर्च रविवार (6 जून) को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई है. अध्ययन दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा समर्थित है.

ना कीमोथेरेपी ना कोई रेडिएशन 

कैंसर के रोगी आमतौर पर कठिन उपचारों से गुजरते हैं, जिनमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन शामिल हैं. मलाशय के कैंसर के मामले में, कुछ रोगियों को कोलोस्टॉमी बैग की भी आवश्यकता होती है. मरीजों को कभी-कभी आंत, मूत्र दोष जैसी स्थायी जटिलताएं भी हो जाती हैं.

वरदान बनकर सामने आया इलाज

इस बीच, नवीनतम परीक्षण उन सभी के लिए एक आशीर्वाद प्रतीत होता है जो उपचार की मांग कर रहे हैं. अध्ययन के सह-लेखक डॉ एंड्रिया सेर्सेक ने टाइम्स को बताया कि रिजल्ट सामने आने पर उनकी आंखों में बहुत सारे खुश आंसू थे. सेर्सेक मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में ऑन्कोलॉजिस्ट हैं. अस्पताल से जारी हुई एक प्रेस विज्ञप्ति में, सेर्सेक ने कहा, 'यह अविश्वसनीय रूप से पुरस्कृत है... इस अध्ययन में रोगियों से खुशी भरे ईमेल प्राप्त हुए. जिन्हें पढ़कर मेरी आंखों में आंसू आ गए. क्योंकि ये मरीज इलाज खत्म कर रहे हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं.

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मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉ. लुइस ए. डियाज जूनियर ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, 'मेरा मानना ​​है कि कैंसर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.' डॉ डियाज अध्ययन लेखकों में से एक हैं. परीक्षण के दौरान, यह पता चला है कि रोगियों ने छह महीने तक हर तीन सप्ताह में दवा ली. विशेष रूप से, सभी मरीज अपने कैंसर के समान चरणों में थे.

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