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अपने हाथों में डिमांड लिस्ट लेकर शी जिनपिंग के दरबार में पहुंचा यूरोप

चीन की हालत इस समय अच्छी नहीं है. वैश्विक कारोबार में वह अब तक अपनी शर्तों पर काम करता आया है लेकिन मौजूदा स्थिति वैसी नहीं है. ऐसे में वह यूरोप के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहता है. एक मीटिंग बीजिंग में कुछ घंटे पहले हुई है. इसमें यूरोपीय नेता कई शिकायतें लेकर पहुंचे थे तो क्या अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए जिनपिंग मानेंगे? 

अपने हाथों में डिमांड लिस्ट लेकर शी जिनपिंग के दरबार में पहुंचा यूरोप
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Anurag Mishra|Updated: Dec 08, 2023, 01:48 PM IST

Xi Jinping News: दुनिया की नजरें इस समय बीजिंग की तरफ हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ के नेताओं का वेलकम किया है. तस्वीर तो मुस्कुराते हुए आई है लेकिन इसके बीच समस्या बड़ी है. समझा जा रहा है कि इस बैठक से तय होगा कि दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आपस में चल रही ट्रेड टेंशन का समाधान कर पाएंगी या रिश्तों में पड़ी गांठ आगे भी बरकरार रहेगी. एक दिन की आमने सामने की ईयू-चीन समिट चार साल में पहली बार हुई है. पिछले साल वर्चुअल इवेंट हुआ था तो ईयू के एक राजनयिक ने इसे 'बहरों से बैठक' कह दिया था. इस बार ब्रुसेल्स कई आर्थिक शिकायतों की लिस्ट लेकर पहुंचा है. उसके नेताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि बेहतर रिश्तों के लिए पहले इसका हल निकाला जाए. वैसे, ईयू भी जानता है कि चीन उसका महत्वपूर्ण ट्रेड पार्टनर है. 

चीन की मजबूरी क्या है?

इधर देश में आर्थिक चुनौतियों का अंबार और संकट बढ़ता देख चीन की सरकार अपने अहम व्यापारिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में लगी है. शी ने मीटिंग के दौरान यूरोपीय नेताओं से कहा, 'चीन-यूरोप संबंधों का मजबूत विकास कायम रहा है. यह दोनों पक्षों के हितों और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप है. दोनों पक्षों को चीन-यूरोप संबंधों के विकास की बेहतर स्थिति बनाए रखनी चाहिए.' शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि दुनिया इस सदी में अनदेखे गंभीर बदलावों से गुजर रही है. चीन और यूरोप बहुध्रुवीयता बढ़ाने की दो बड़ी शक्तियां हैं, वैश्वीकरण का समर्थन करने वाले दो बड़े बाजार हैं और विविधता को प्रोत्साहित करने वाली दो प्रमुख सभ्यताएं हैं.

जिनपिंग ने कर दी भरोसे वाली बात

उन्होंने चीन-यूरोप संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि से जुड़ी हैं. चीन और यूरोप पर दुनिया में स्थिरता लाने, विकास को प्रोत्साहन देने और वैश्विक शासन को सहयोग देने की जिम्मेदारी है. शी ने आगे उस भरोसे की बात कर दी जिसका शायद यूरोपीय नेता इंतजार कर रहे थे. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों पक्षों को लगातार आपस में राजनीतिक भरोसा बढ़ाना चाहिए, रणनीतिक सहमति बनानी चाहिए और सभी प्रकार के हस्तक्षेप को दूर करना चाहिए.

इससे पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने यूरोपीय नेताओं की इस यात्रा को नई संभावनाओं के साथ चीन-यूरोपीय संघ के संबंधों को नए स्तर पर पहुंचाने के अवसर के रूप में बताया था. 

क्या बेकरार है चीन?

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंध के एसोसिएट प्रोफेसर ली मिंगजियांग ने कहा कि चीन के नेताओं की प्राथमिकता इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है और बीजिंग यूरोपीय संघ को संभावित रूप से एक मूल्यवान भूमिका निभाने वाले साझीदार के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, 'यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए चीन इस समय एक तरह से बेकरार है.'

हालांकि किसी बड़ी डील या सफलता मिलने की उम्मीद बहुत कम है. दोनों पक्षों में बड़ा मतभेद है- आर्थिक संबंधों से लेकर यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण पर रुख को लेकर. रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल हो रहे लेकिन चीन ने निंदा नहीं की है. 

चीनी राष्ट्रपति ने गुरुवार को बीजिंग में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात की. यूरोप के तमाम नेताओं का मानना है कि चीन ईयू का सबसे महत्वपूर्ण ट्रेडिंग पार्टनर है लेकिन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि संतुलन नहीं है और अंतर ज्यादा है. शी से ईयू की अध्यक्ष ने कहा कि हम दोनों इस बात को समझते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं के हित में क्या है. मीटिंग से पहले ही यूरोपीय नेताओं ने अपने इरादे जता दिए थे कि वे अपने रुख पर सख्त रहेंगे.

यूरोप की शिकायत क्या है

ईयू चीन से ट्रेड गैप को भरना चाहता है. ब्रुसेल्स का कहना है कि चीन अपनी कंपनियों के लिए सब्सिडी देता है और अपने बाजार में एंट्री में अड़चनें पैदा करता है. कई तरह की जांच, आरोप की बातें होती रही हैं. अब देखना यह होगा कि चीनी राष्ट्रपति यूरोप की डिमांड को सुनेंगे या अनसुना कर देंगे.

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