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Risk Index: दोबारा राष्ट्रपति बने ट्रंप तो चीन-जर्मनी को दबा देंगे? इन देशों की भी आएगी शामत; रिस्क इंडेक्स में खुलासा

Trump Risk Index : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों (US President Elections 2024) की धूम है. जहां इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (Economist Intelligence Unit) की एक रिपोर्ट बहस का मुद्दा बन चुकी है. Kamala Harris या Donald Trump. कौन जीतेगा-कौन हारेगा? बाजार से लेकर गली नुक्कड़ के अलावा टाइम्स स्क्वायर तक यही चर्चा चल रही है.

Risk Index: दोबारा राष्ट्रपति बने ट्रंप तो चीन-जर्मनी को दबा देंगे? इन देशों की भी आएगी शामत; रिस्क इंडेक्स में खुलासा
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Shwetank Ratnamber|Updated: Aug 03, 2024, 12:27 PM IST

Trump Risk Index: एक बार फिर से 'दुनिया का दारोगा' बनने को बेताब बैठे ट्रंप को बहुत जल्द गुस्सा आता है. वो बात-बात पर भड़क उठते हैं. ट्रंप शार्ट टैंपर हैं. बाइडेन को टारगेट की रेस के रास्ते से हटाने के बाद से भले ही वो संभ्रांत बनकर वोट मांग रहे हों, लेकिन सब जानते हैं कि ट्रंप तुनकमिजाजी के लिए भी बदनाम हैं. अमेरिकी जनता उन्हें दोबारा चुनेगी या नहीं? इससे इतर अब ये चर्चा हो रही है कि अगर ट्रंप जीत गए तो क्या वर्ल्ड ऑर्डर प्रभावित होगा और अगर हां तो किस देश पर इसका कितना असर पड़ेगा? 'द इकोनॉमिस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की जीत की कल्पना भर कर लेने से तमाम अमेरिकी इंडस्ट्रलिस्ट कराह रहे हैं, वहीं करीब दर्जनभर देश भी तनाव में हैं. सब ये सोच के सिहर उठते हैं कि ट्रंप दोबारा सत्ता में आ गए तो उनका भट्टा न बिठा दें.

रिस्क इंडेक्स में इन इन दो देशों की बढ़ी चिंता थर-थर कांप रहा मेक्सिको!

इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (Economist Intelligence Unit) ने जोखिम यानी रिस्क के आधार पर 70 देशों की रैंकिंग तैयार की है. इसे उन्होंने ट्रंप रिस्क इंडेक्स नाम दिया है. ये इंडेक्स ट्रेड, सुरक्षा, इमीग्रेशन को लेकर अमेरिकी पॉलिसी के प्रति देशों के जोखिम पर आधारित है. इस लिस्ट के मुताबिक ट्रंप जीते तो उनकी निगाहें चीन और जर्मनी पर टेढ़ी हो सकती हैं. चीन के साथ एक बार फिर ट्रेड वार छिड़ सकता है, वहीं 2024 में चीन के साथ जर्मनी को भी ड्यूटी चार्ज के बोझ से लादा जा सकता है.

जर्मनी और चीन को लेकर ट्रंप कुछ और सख्त फैसले ले सकते हैं. दुनिया में नया टैरिफ वार छिड़ सकता है. वैसे भी ट्रंप इस बार 60% Duty लगाने की धमकी दे चुके है. मेक्सिको की अपनी अलग टेंशन है, उसे लगता है कि सख्त इमीग्रेशन नियमों की वजह से उसके लोगों की अमेरिका में एंट्री का सपना टूट सकता है. जिन देशों के लोग अमेरिका में अवैध तरीकों से एंट्री लेते हैं वो भी परेशान हैं, क्योंकि पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने पड़ोसी देशों की घुसपैठ रोकने के लिए कंटीली दीवार खड़ी करा दी थी.

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रिस्क इंडेक्स वाले देशों पर ट्रंप नए प्रतिबंध भी लगा सकते हैं. वो अपने मित्र देशों को भी सुरक्षा मुहैया कराने के बदले उनसे पैसा मांग सकते हैं. जैसा कि अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने नाटो देशों से अपना बकाया चुकाने के लिए किसी सूदखोर महाजन की तरह दबाव बनाया था. वो सिक्योरिटी मुहैया कराने के लिए मुंह खोलकर पैसा मांग सकते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने में भले ही कुछ महीने बाकी हों लेकिन हजारों लोग अभी से ट्रंप की हार की कामना कर रहे हैं. खासकर यूक्रेन के लोग और दुनिया के तमाम दूसरे देशों के अप्रवासी और शरणार्थी तहे दिल से ट्रंप की हार की प्रार्थना कर रहे हैं. उन्हें डर है कि अगर रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप जीत गए तो बहुत से लोगों की अमेरिका में रहने और बसने की आस टूट जाएगी.

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