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Japan में घटती जन्म दर ने बढ़ाई चिंता, PM की सलाहकार बोलीं- ऐसे तो गायब हो जाएगा देश

Japan Population Decline: जापान की जनंसख्या तेजी से घट रही है. जनसंख्या 2008 में 128 मिलियन से गिरकर 124.6 मिलियन हो गई है, और गिरावट की गति बढ़ रही है.

Japan में घटती जन्म दर ने बढ़ाई चिंता, PM की सलाहकार बोलीं- ऐसे तो गायब हो जाएगा देश
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Zee News Desk|Updated: Mar 07, 2023, 08:45 AM IST

Japan Birth Rate:  प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की एक सलाहकार के अनुसार, अगर जापान अपनी जन्म दर में गिरावट को धीमा नहीं कर पाया तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. मसाको मोरी ने टोक्यो में एक इंटरव्यू कहा, ‘अगर हम ऐसे ही चलते रहे, तो देश गायब हो जाएगा.’

बता दें जापान द्वारा 28 फरवरी को यह घोषणा की गई कि पिछले साल जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई.

पैदा हुए लोगों की तुलना में मौतें ज्यादा
पिछले साल, जापान में पैदा हुए लोगों की तुलना में लगभग दोगुने लोगों की मृत्यु हुई,  800,000 से कम जन्म और लगभग 1.58 मिलियन मौतें हुईं. इस स्थिति से चिंतित पीएम  किशिदा ने बच्चों और परिवारों पर दोगुना खर्च करने का निर्णय लिया है.

जापान की जनंसख्या तेजी से घट रही है. जनसंख्या 2008 में 128 मिलियन से गिरकर 124.6 मिलियन हो गई है, और गिरावट की गति बढ़ रही है. इस बीच 65 या उससे अधिक उम्र के लोगों का अनुपात पिछले साल बढ़कर 29% से अधिक हो गया.

मोरी ने कहा, ‘यह धीरे-धीरे नहीं गिर रही है, यह सीधे नीचे की ओर बढ़ रही है.’  ऊपरी सदन सांसद और पूर्व मंत्री, मोरी किशिदा को जन्म दर की समस्या और एलजीबीटीक्यू मुद्दों पर सलाह देती हैं. उन्होंने कहा, ‘अब पैदा होने वाले बच्चों को एक ऐसे समाज में फेंक दिया जाएगा जो विकृत हो जाएगा, सिकुड़ जाएगा और कार्य करने की क्षमता खो देगा.’

तो ध्वस्त हो जाएगी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली
मोरी ने कहा, ‘अगर कुछ नहीं किया गया, तो सामाजिक सुरक्षा प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी, औद्योगिक और आर्थिक ताकत गिर जाएगी और देश की सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा बलों के लिए पर्याप्त भर्तियां नहीं होंगी.’

पीएम की घोषणा पर आलोचकों ने उठाए सवाल
किशिदा ने अभी तक अपने नए व्यय पैकेज की सामग्री की घोषणा नहीं की है, लेकिन कहा है कि यह पिछली नीतियों से ‘एक अलग आयाम पर’ होगा. अब तक उन्होंने बाल भत्ते बढ़ाने, चाइल्डकैअर प्रावधान में सुधार करने और कार्यशैली बदलने का उल्लेख किया है.

हालांकि आलोचकों का तर्क है कि जिन परिवारों में बच्चे हैं, उन पर पैसा फेंकना समस्या का समाधान करने के लिए पर्याप्त नहीं है. लैंगिक समानता पर एक सरकारी पैनल के एक पेपर में कहा गया कि व्यापक बदलावों की आवश्यकता है जिसमें महिलाओं पर बच्चों की परवरिश का बोझ कम करना और जन्म देने के बाद कार्यबल में उनकी भागीदारी को आसान बनाना शामिल हो.

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