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Mount Everest: माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए फिर खुला ये रूट, चीन ने विदेशियों को जाने की दी मंजूरी

Mount Everest Tibet Route: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी तक पहुंचने का यह रास्ता कोरोना महामारी के दौरान बंद कर दिया गया था. कभी ये रास्ता काफी लोकप्रिय था. 

Mount Everest: माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए फिर खुला ये रूट, चीन ने विदेशियों को जाने की दी मंजूरी
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Manish Kumar.1|Updated: Apr 04, 2024, 02:30 PM IST

Mount Everest News: कोरोना महामारी के बाद पहली बार, चीन ( China) ने विदेशी पर्वतारोहियों के लिए तिब्बत (Tibet) के रास्ते माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) तक पहुंचने की परमिशन दी है.

एड्रियन बॉलिंगर (Adrian Ballinger), ने आठ बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है. वह इस वर्ष, अपनी कंपनी, एल्पेंग्लो एक्सपीडिशन के माध्यम से पर्वतारोहियों के एक समूह का नेतृत्व करेंगे.

खास बात यह है कि बॉलिंगर उन पश्चिमी गाइडों में से एक हैं जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की चोटी तक जाने के लिए अधिक मशहूर नेपाल मार्ग  के विपरीत तिब्बत मार्ग को प्राथमिकता देते हैं.

जाने के लिए कैसे मिलेगी परमिशन
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग में किसी टूरिस्ट अधिकारी या काउंसिल के बजाय, पहाड़ तक चीनी मार्ग का इस्तेमाल करने के लिए सभी पास, जिसे चीन में क्यूमोलंगमा के नाम से जाना जाता है, चीन तिब्बत पर्वतारोहण संघ (सीटीएमए) द्वारा वितरित किए जाते हैं.

बॉलिंजर कहते हैं, सीटीएमए सीजन के लिए मूल्य सूची भेजता है तो समझ लीजिए कि एवरेस्ट का तिब्बत वाला हिस्सा खुला रहेगा. इन सूचियों में याक (जो पहाड़ के ऊपर और नीचे सामान ले जाते हैं), लोकल गाइड, अनुवादक और तिब्बत की राजधानी ल्हासा (Lhasa) से एवरेस्ट बेस कैंप (Everest Base Camp) तक परिवहन की लागत शामिल है.

टूरिस्ट वीजा पर आने वालों को लेना होगा एक और वीजा
जो विदेशी लोग चीन के लिए टूरिस्ट प्राप्त करते हैं, उन्हें तिब्बत के लिए एक अलग वीजा प्राप्त करना होगा, जो एक अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र है.  सीटीएमए पर्वतारोहियों के लिए इसमें मदद करता है. गैर-चीनी पर्वतारोहियों के लिए सालाना अधिकतम 300 परमिट उपलब्ध हैं.

एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए मौका कम होता है - आमतौर पर अप्रैल के अंत और मई के मध्य के बीच ही यह काम हो सकता है. बॉलिंजर की टीम 25 अप्रैल को चीन पहुंचेगी.

दुनिया के टॉप पर पहुंचने का मुकाबला
नेपाल के पास एवरेस्ट की चोटी तक जाने का अधिक मशहूर और अधिक फोटोग्राफी के अनुकुल मार्ग है. हालांकि हमेशा ऐसा नहीं था.

बॉलिंगर बताते हैं, 'चीनी तरफ से चढ़ाई नेपाली तरफ से चढ़ने की तुलना में अधिक लोकप्रिय हुआ करती थी. इसलिए लगभग 2000 से 2007 तक, चीनी रूट अधिक लोकप्रिय था और आमतौर पर यह समझा जाता था कि इसके अधिक लोकप्रिय होने की वजह इसका अधिक सुरक्षित होना है.'

तो क्या बदला?
2008 में, चीन ने बीजिंग में समर ओलंपिक की मेजबानी की. राजधानी में पहुंचने से पहले, ओलंपिक लौ ने एवरेस्ट की यात्रा की, इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर जाने के लिए पर्यटकों के समूह पहले से ही तैयार थे.

बॉलिंजर कहते हैं, '2008 में हम सभी के पहाड़ पर पहुंचने से आठ दिन पहले, उन्होंने पूरे सीज़न के लिए पहाड़ को बंद कर दिया था और बहुत से लोगों का बहुत सारा पैसा बर्बाद हो गया था और उस फैसले की वजह, उस वर्ष बिजनेस नेपाल ट्रांसफर हो गया.'

अब, विदेशी पर्वतारोही 2020 के बाद पहली बार तिब्बत के उत्तरी मार्ग से एवरेस्ट तक पहुंचने में सक्षम हैं. यह ट्रेंड को धीरे-धीरे बदल सकता है.

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