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ऋषि सुनक के भारत दौरे से पहले हुमायूं मकबरे का हिंदू कनेक्शन, लोगों ने जमकर निकाली भड़ास

G 20 Meeting Delhi:  जी-20 बैठक में शिरकत करने के लिए ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक भारत आ रहे हैं. उनके दौरे से पहले ब्रिटेन के अखबार संडे टाइम्स ने लिखा कि उम्मीद है कि पीएम सुनक हिंदुओं के आध्यात्मिक स्थल हुमायूं के मकबरे भी जाएंगे. अखबार में इस लेख के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स जमकर भड़ास निकाल रहे हैं.

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Updated: Sep 05, 2023, 05:32 PM IST

Humayun Tomb Connection with Hindus: अब मुगल बादशाह हुमायूं के मकबरे पर विवाद छिड़ गया है. विवाद की शुरुआत भारत से नहीं बल्कि ब्रिटेन से हुई है. दरअसल ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक जी 20 बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आने वाले हैं उससे पहले ब्रिटेन के एक अखबार ने हुमायूं के मकबरे (Humayun Tomb) में हिंदू कनेक्शन ढूंढ लिया. संडे टाइम्स (sunday times british news paper) ने हुमायूं के मकबरे को हिंदुओं की धर्मस्थली बताया जिसे लेकर लोगों ने नाराजगी जताई है. अब रिपोर्ट में क्या कुछ लिखा गया है उसे पहले जानिए.

उम्मीद है हुमायूं मकबरे पर जाएंगे सुनक

संडे टाइम्स ने लिखा कि उम्मीद है कि ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक  जी 20 (g 20 meeting india) बैठक के दौरान भारत की यात्रा पर होंगे और वो हिंदुओं के आध्यात्मिक स्थल हुमायूं के मकबरे का दौरा करने जरूर जाएंगे. शनिवार को प्रकाशित लेख का शीर्षक ऋषि सुनक और कीर स्टार्मर के लिए गर्मियां खत्म हो गईं थी. ऐसा माना जा रहा है कि लेबर पार्टी के स्टार्मर (stormer vs rish sunak) और सुनक के बीच अगले चुनाव में तगड़ी टक्कर हो सकती है. संडे टाइम्स में इस लेख के बाद सोशल मीडिया ने कड़े अंदाज में प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लिखा कि हुमायूं के मकबरे को हिंदुओं का आध्यात्मिक स्थल कैसे कह सकते हैं. यही नहीं यूजर्स ने वेस्टर्न मीडिया (social media reaction) का भी मजाक उड़ाते हुए कहा कि यह सब बेकार की कल्पनाएं हैं, आखिर ऋषि सुनक भारत में इतने लोकप्रिय कैसे हो गए कि उन्हें लोग सुनने के लिए भीड़ लगा लेंगे. क्या ब्रिटेन का मीडिया भी अब ऐसी ही खबरें छापने लगा है.

16वीं सदी के मध्य में बना था हुमायूं मकबरा

16वीं सदी के मध्य में दिल्ली में मुगल बादशाह अकबर और उनती मां हमीदा बानू बेगम ने हुमायूं मकबरे का निर्माण कराया था. इस मकबरे को मुगलकालीन स्थापत्य का आधार भी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अकबर और उसके शासन के बाद जितने में मुगल बादशाहों ने शासन किया उन्होंने स्थापत्य कला में इस इमारत को आधार बनाया.

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