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तालिबान शासन के बीच अफगानिस्तान में बड़ा संकट, इन दुकानदारों का हुआ बुरा हाल

Afghanistan News: पुस्तक विक्रेताओं की समस्याओं का आकलन करने वाले एक आयोग ने यह खुलासा किया है. कई पुस्तक विक्रेताओं ने चिंता व्यक्त की कि अफगानिस्तान में पुस्तक पढ़ने की संस्कृति फीकी पड़ गई है.

प्रतीकात्मक फोटो
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Zee News Desk|Updated: Aug 13, 2023, 02:05 PM IST

Bookshops In Afghanistan: अफगानिस्तान में 30 प्रतिशत पुस्तक विक्रेताओं ने अपना कारोबार अच्छे बाजार की कमी के कारण बंद कर दिया है. टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पुस्तक विक्रेताओं की समस्याओं का आकलन करने वाले एक आयोग ने यह खुलासा किया है.

अफगानिस्तान स्थित टोलो न्यूज़ से बात करते हुए, आयोग के सदस्य अब्दुल वोदोद मुख्तारज़ादा ने कहा कि पुस्तक विक्रेताओं ने उच्च करों के बारे में भी शिकायत की है जिन्हें चुकाना मुश्किल हो रहा है.  

पुस्तक पढ़ने की संस्कृति पड़ी फीकी
कई पुस्तक विक्रेताओं ने चिंता व्यक्त की कि अफगानिस्तान में पुस्तक पढ़ने की संस्कृति फीकी पड़ गई है.

एक पुस्तक विक्रेता शरीफुल्लाह ने कहा, ‘विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों की उपस्थिति में कमी के कारण समस्याएं हैं. यह मुद्दा पुस्तक व्यवसाय को भी प्रभावित करता है.‘

एक अन्य पुस्तक विक्रेता मंसूर काजीजादा ने जोर देकर कहा कि बाजार नीचे है और लोगों में खरीदने की क्षमता नहीं है. उन्होंने पुस्तक विक्रेताओं द्वारा चुकाए जाने वाले विभिन्न करों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं कि बाज़ार मंदी में है और लोगों के पास किताबें ख़रीदने की क्षमता नहीं है. साथ ही, कई तरह के कर भी हैं.’

तालिबान सरकार ने किया ये दावा
इस बीच, रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के नेतृत्व वाले सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में पुस्तक बाजारों का समर्थन करने के लिए पुस्तकालयों के करों को माफ करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

तालिबान के नेतृत्व वाले सूचना और संस्कृति प्रकाशन विभाग के उप मंत्री महाजर फराही ने कहा, ‘हम किताबों पर कर माफ करने की कोशिश कर रहे हैं और इस तरह हम किताब पढ़ने की परंपरा को लागू कर सकते हैं. हमने विभिन्न प्रदर्शनियां आयोजित की हैं.’

टोलो न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में, काबुल में युवाओं के एक समूह ने अफगानिस्तान में पढ़ने की संस्कृति को मजबूत करने के लिए ‘स्मार्ट वे’ पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया था.

ऐसी पहलों को लागू करके, युवाओं ने दावा किया कि वे निवासियों, विशेष रूप से युवाओं को साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, क्योंकि तालिबान ने पहले से ही अफगानिस्तान में युवा लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है.

टोलो न्यूज़ के अनुसार, एक आयोजक शरीफ़ा हेसर ने कहा, ‘हमने अपने समाज के युवाओं के लिए किताबें पढ़ने की संस्कृति बनाने के लिए इसे आयोजित किया, किताबें उनके लिए मनोरंजन हैं.’

एक अन्य आयोजक फरहाद मलिक ज़ादा ने कहा, ‘इस प्रदर्शनी को आयोजित करने का उद्देश्य युवाओं के बीच पढ़ने की संस्कृति को मजबूत करना है.’

टोलो न्यूज के अनुसार, पिछले दो वर्षों में पुस्तक-विक्रय व्यवसाय के ठहराव ने काबुल और अफगानिस्तान के आसपास के क्षेत्रों में पुस्तक विक्रेताओं को चिंतित कर दिया है, जिन्होंने नियमित रूप से अपनी चिंता व्यक्त की है.

(इनपुट – न्यूज एजेंसी -ANI)

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