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BRICS में शामिल होगा अजरबैजान? भारत, चीन और रूस वाले ग्रुप में पुतिन का यह कैसा दांव

BRICS Countries In 2024: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के अगले दिन ही, अजरबैजान ने BRICS समूह में शामिल होने के लिए औपचारिक आवेदन कर दिया है.

BRICS में शामिल होगा अजरबैजान? भारत, चीन और रूस वाले ग्रुप में पुतिन का यह कैसा दांव
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Deepak Verma|Updated: Aug 21, 2024, 09:32 AM IST

BRICS Member Countries: वैश्विक स्थितियों में बदलाव के चलते, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के समूह‍ BRICS में दिलचस्पी बढ़ रही है. पूर्वी यूरोप और एशिया के बीच बसे अजरबैजान ने BRICS की सदस्यता के लिए आवेदन किया है. दिलचस्प बात यह कि अजरबैजान का आवेदन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के ठीक अगले दिन आया है. 1991 तक दक्षिणी कॉकेशस का यह देश सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था.

BRICS में कौन-कौन से देश शामिल हैं?

ब्रिक्स में एक दशक से ज्यादा समय तक सिर्फ पांच देश शामिल थे- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका. जनवरी 2024 में ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) इसमें शामिल हुए. सऊदी अरब ने कहा है कि वह भी इसमें शामिल होने पर विचार कर रहा है.

अजरबैजान के पास तेल का बड़ा भंडार है. ब्रिक्स समूह में पहले से ही वे देश शामिल हैं जिनके पास तेल के बड़े भंडार हैं. विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक चौथाई से अधिक हिस्सा उन देशों में शामिल है जो BRICS का हिस्सा हैं. BRICS तेजी से एक ऐसा गुट बनता जा रहा है जो एक नई विश्व व्यवस्था की रूपरेखा तैयार कर रहा है.

अजरबैजान पर क्यों मेहरबान हैं पुतिन?

पुतिन की हालिया यात्रा ने यह सुनिश्चित किया कि रूस के अजरबैजान के साथ क्षेत्रीय संबंध सुरक्षित रहें. रूस यह भी चाहता था कि संकट के समय में भी अजरबैजान के माध्यम से मास्को के व्यापार मार्ग बरकरार रहें. अजरबैजानी के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पुतिन से मुलाकात के दौरान घोषणा की कि रूस के साथ माल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए 120 मिलियन डॉलर निर्धारित किए गए हैं.

यह भी पढ़ें: रूस के 92 ठिकानों पर यूक्रेन का कब्जा.. पुतिन की सेना पर भारी जेलेंस्की के लड़ाके

एसोसिएटेड प्रेस ने पॉलिटिकल साइंटिस्ट जरदुश्त अलीजादे के हवाले से कहा कि रूस को अजरबैजान जैसे देशों के साथ संबंध बनाए रखने होंगे. क्योंकि क्षेत्रीय युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई के चलते पश्चिम ने मास्को पर विभिन्न व्यापार प्रतिबंध लगाए हैं, इस वजह से रूस को वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने के लिए इन देशों की जरूरत है.

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