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US Senate Resolution: भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अमेरिकी संसद में पेश हुआ ऐसा प्रस्ताव, ड्रैगन को लग गई मिर्ची

US Senate Resolution on Arunachal Pradesh: भारत-चीन सीमा विवाद यानी LAC को लेकर अमेरिकी संसद में एक दुर्लभ प्रस्ताव पेश हुआ है. सीनेट में पेश हुए प्रस्ताव में चीन की आक्रामकता की निंदा की गई है. वहीं चीन के खिलाफ रक्षा के लिए कदम उठाने पर भारत की सराहना की गई है.

US Senate Resolution: भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अमेरिकी संसद में पेश हुआ ऐसा प्रस्ताव, ड्रैगन को लग गई मिर्ची
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Shwetank Ratnamber|Updated: Feb 17, 2023, 03:29 PM IST

Rare resolution in US Senate: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ‘यथास्थिति को बदलने की’ चीन की सैन्य आक्रामकता का विरोध करते हुए अमेरिकी सीनेट में अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देने के लिए बृहस्पतिवार को एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के लिए चीन द्वारा सैन्य बल के उपयोग, विवादित क्षेत्रों में गांवों के निर्माण, भारतीय राज्य अरुणाचल के शहरों एवं क्षेत्रों के लिए मंदारिन भाषा के नामों के साथ मानचित्रों का प्रकाशन करने तथा भूटान में चीन के क्षेत्रों के विस्तार समेत चीनी उकसावे की निंदा की गई है.

विस्तारवाद की नीति पर अड़ा चीन

प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के अपना क्षेत्र होने का दावा करता है और इसे वह ‘दक्षिण तिब्बत’ कहता है और उसने अपनी आक्रामक और विस्तारवादी नीतियों के तहत ये दावे किए हैं. डेमोक्रेट पार्टी के नेता जेफ मर्कले और रिपब्लिकन नेता बिल हैगर्टी द्वारा पेश किए गए द्विदलीय प्रस्ताव में कहा गया है, ‘अमेरिका अरुणाचल प्रदेश राज्य को एक विवादित क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देता है.’

अमेरिकी संसद में पेश हुआ दुर्लभ प्रस्ताव

इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष एवं सीनेटर जॉन कॉर्निन ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया है. सीनेट का प्रस्ताव अरुणाचल प्रदेश पर चीनी दावों का विरोध करते हुए इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिका मैकमोहन रेखा को चीन और भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता देता है.

LAC को समझने की जरूरत

मैकमोहन रेखा 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत अस्तित्व में आई थी. इस सीमारेखा का नाम भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के विदेश सचिव सर हैनरी मैकमोहन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी.

मर्कले ने कहा, ‘यह प्रस्ताव स्पष्ट करता है कि अमेरिका भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन के नहीं, बल्कि भारत के हिस्से के रूप में देखता है और समान विचारधारा वाले अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के मिलकर क्षेत्र को समर्थन और सहायता देने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता जताता है.’

प्रस्ताव में चीन के कारण सुरक्षा को पैदा हुए खतरे एवं उसकी आक्रामकता के खिलाफ अपनी रक्षा के लिए कदम उठाने पर भारत की सराहना की गई है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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