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Bangladesh Crisis: आर्मी चीफ ने ऐसा क्या कहा जो शेख हसीना ने किया देश छोड़ने का फैसला, सामने आई इस्तीफा देने की वजह

Sheikh Hasina: पिछले 30 वर्षों में से 20 में बांग्लादेश पर हसीना का शासन रहा. फिर ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने सोमवार को इस्तीफा देकर देश छोड़ने का फैसला किया. 

Bangladesh Crisis: आर्मी चीफ ने ऐसा क्या कहा जो शेख हसीना ने किया देश छोड़ने का फैसला, सामने आई इस्तीफा देने की वजह
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Manish Kumar.1|Updated: Aug 07, 2024, 11:49 AM IST

Bangladesh Crisis News:  बांग्लादेश की लंबे समस ये पीएम रहीं शेख हसीना ने सोमवार को हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गई.  आखिर ऐसा क्या हुआ जो हसीना को यह फैसला लेना पड़ा. दरअसल उनके भागने से एक रात पहले सेना प्रमुख ने अपने जनरलों के साथ एक बैठक की और फैसला किया कि सेना कर्फ्यू लागू करने के लिए नागरिकों पर गोलियां नहीं चलाएगी. रॉयटर्स ने चर्चाओं की जानकारी रखने वाले दो रिटायर्ड सेना अधिकारियों के हवाले यह बताया है.

मामले की जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी के अनुसार, जनरल वाकर-उज-जमान ने फिर हसीना के कार्यालय से कॉन्टैक्ट किया और प्रधानमंत्री को बताया कि उनके सैनिक उनके द्वारा बुलाए गए लॉकडाउन को लागू करने में असमर्थ होंगे. अधिकारी ने कहा कि संदेश स्पष्ट था: हसीना को अब सेना का समर्थन नहीं रहा.

सेना का यह फैसला यह समझने में मदद करता है कैसे हसीना का 15 साल का शासन, जिसके दौरान उन्होंने किसी भी असहमति को बर्दाश्त नहीं किया, सोमवार को अचानक समाप्त हो गया, जब वह बांग्लादेश से भागकर भारत आ गईं.

रविवार को राष्ट्रव्यापी झड़पों में कम से कम 91 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. इसके बाद राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाया गया था. जुलाई में हसीना के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद यह सबसे घातक दिन था.

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल समी उद दौला चौधरी ने रविवार शाम की चर्चाओं की पुष्टि की. उन्होंने इसे किसी भी अशांति के बाद अपडेट लेने के लिए एक नियमित बैठक बताया. हालांकि उस बैठक में लिए गए फैसले के बारे में उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया.

पिछले 30 वर्षों में से 20 में बांग्लादेश पर हसीना का शासन रहा. इस जनवरी में उन्हें एक विवादास्पद चुनाव में फिर से चुना गया. इस चुनाव का मुख्य विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया था. 

सत्ता पर उनकी मज़बूत पकड़ को गर्मियों से ही विरोध प्रदर्शनों से चुनौती मिल रही थी. यह विरोध सरकारी नौकरियों को आबादी के कुछ वर्गों के लिए आरक्षित करने के न्यायालय के फैसले से शुरू हुए थे.  फ़ैसले को पलट दिया गया था, लेकिन प्रदर्शन जल्दी ही हसीना को हटाने के आंदोलन में बदल गए.

क्यों बदला जमान का मन?
बांग्लादेश के तीन पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि जमान ने हसीना से समर्थन वापस लेने के अपने फ़ैसले को सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं किया है. लेकिन विरोध प्रदर्शनों के बड़े पैमाने पर फैलने और कम से कम 241 लोगों की मौत ने हसीना को किसी भी कीमत पर समर्थन देना असंभव बना दिया.

 

रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल एम. सखावत हुसैन ने कहा, 'सैनिकों के भीतर बहुत बेचैनी थी. संभवतः इसी बात ने सेना प्रमुख पर दबाव डाला, क्योंकि सैनिक बाहर हैं और वे देख रहे हैं कि क्या हो रहा है.'

आर्मी चीफ शनिवार को दिए संकेत
ज़मान ने शनिवार को प्रधानमंत्री के प्रति अपने समर्थन में कुछ ढुलमुल संकेत दिखाए थे जब उन्होंने टाउन हॉल मीटिंग में सैकड़ों वर्दीधारी अधिकारियों को संबोधित किया. सेना ने बाद में उस चर्चा के कुछ विवरण सार्वजनिक किए.

सेना के प्रवक्ता चौधरी ने कहा कि जनरल ने घोषणा की कि लोगों की जान बचाई जानी चाहिए और अपने अधिकारियों से धैर्य रखने को कहा.

यह पहला संकेत था कि बांग्लादेश की सेना हिंसक प्रदर्शनों को बलपूर्वक नहीं दबाएगी, जिससे हसीना असुरक्षित हो जाएंगी.

ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद शाहदुल अनम खान जैसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ सैनिक उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने सोमवार को कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतर आए.

पूर्व पैदल सैनिक खान ने कहा, 'हमें सेना ने नहीं रोका. सेना ने वही किया जो उसने वादा किया था कि सेना करेगी.'

सोमवार को क्या हुआ?
सोमवार को, अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू के पहले दिन, हसीना राजधानी ढाका में भारी सुरक्षा वाले परिसर गणभवन या 'पीपुल्स पैलेस' के अंदर छिपी हुई थीं, जो उनका आधिकारिक निवास है.

बाहर, शहर की सड़कों पर भीड़ जमा हो गई थी. पीएम को हटाने की मांग करने वाले नेताओं की अपील पर हजारों लोग शहर के बीचों-बीच मार्च करने के लिए उमड़ पड़े थे.

भारतीय अधिकारी और मामले से परिचित दो बांग्लादेशी नागरिकों के अनुसार, जब स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो गई, तो 76 वर्षीय नेता ने सोमवार सुबह देश से भागने का फैसला किया.

बांग्लादेश के एक सूत्र के अनुसार, हसीना और उनकी बहन, जो लंदन में रहती हैं, लेकिन उस समय ढाका में थीं, ने इस मामले पर चर्चा की और साथ में उड़ान भरी. वे स्थानीय समयानुसार दोपहर लंच के समय भारत के लिए रवाना हुए.

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