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Pakistan में Congo Virus का 13वां केस आया सामने, कितनी खतरनाक है यह बीमारी, क्या हैं इसके लक्षण?

Pakistan Congo Virus Outbreak: इस बीमारी से पाकिस्तान में एक शख्स की मौत भी हो चुकी है. मरीज को 17 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 18 मई को उसका टेस्ट कांगो वायरस पॉजिटिव आया था. 

Pakistan में Congo Virus का 13वां केस आया सामने, कितनी खतरनाक है यह बीमारी, क्या हैं इसके लक्षण?
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Manish Kumar.1|Updated: Jun 24, 2024, 02:17 PM IST

Pakistan News: पाकिस्तान के क्वेटा में कांगो वायरस का एक नया मामला सामने आया है. 32 वर्षीय एक मरीज को फातिमा जिन्ना अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष पाकिस्तान में कांगो वायरस का यह 13वां मामला है जिसमें एक मरीज की मौत हो गई है.

इससे पहले पेशावर में कांगो वायरस से पीड़ित 18 वर्षीय एक लड़के की मौत हो गई थी. मरीज को 17 मई को खैबर टीचिंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 18 मई को कांगो वायरस के लिए उसका टेस्ट पॉजिटिव आया था.

आखिर क्या है यह बीमारी जो पाकिस्तान में बनी है चिंता की वजह?

कांगो बुखार
-क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF) एक तरह का वायरल रक्तस्रावी बुखार है जो आमतौर पर टिक्स (कीड़े) द्वारा फैलता है.

-यह पशुओं के वध के दौरान और उसके तुरंत बाद वायरेमिक पशु ऊतकों (पशु ऊतक जहां वायरस रक्तप्रवाह में प्रवेश कर गया है) के संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

-CCHF का फैलना पब्लिक हेल्थ सर्विस के के लिए खतरा बन जाता है क्योंकि यह वायरस महामारी का कारण बन सकता है.

-इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर 10-40% है जो कि बहुत अधिक है.

-इसे रोकना और इलाज करना मुश्किल है.

-CCHF पूरे अफ्रीका, बाल्कन, मध्य पूर्व और एशिया में स्थानिक बीमारी है.

-इस बीमारी का पहली बार 1944 में क्रीमिया प्रायद्वीप में पता चला और इसे क्रीमिया रक्तस्रावी बुखार नाम दिया गया.

-1969 में यह पहचाना गया कि क्रीमिया रक्तस्रावी बुखार का कारण बनने वाला रोगजनक वही था जो 1956 में कांगो बेसिन में पहचानी गई बीमारी के लिए जिम्मेदार था. दो जगहों के नामों के जुड़ाव के चलते बीमारी और वायरस का वर्तमान नाम सामने आया.

कांगो बुखार के लक्षण
-लक्षणों की शुरुआत अचानक होती है और इसमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना, गर्दन में दर्द, पीठ में दर्द, सिरदर्द, आंखों में दर्द और फोटोफोबिया (प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता) शामिल हो सकते हैं.

-शुरुआत में मतली, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द और गले में खराश हो सकती है, इसके बाद अचानक मूड में बदलाव और भ्रम हो सकता है. 2-4 दिनों के बाद बेचैनी की जगह नींद, अवसाद और आलस्य आ सकता है.

-गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बीमारी के पांचवें दिन के बाद तेजी से गुर्दे की गिरावट, अचानक यकृत की विफलता का अनुभव हो सकता है.

क्या बीमारी की कोई वैक्सीन उपलब्ध है?
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जानवरों और टिक्स में CCHF संक्रमण को रोकना या नियंत्रित करना मुश्किल है.

-मानव या पशु उपयोग के लिए कोई वैक्सीन व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं.

-किसी वैक्सीन की गैरमौजूदगी में, लोगों में संक्रमण को कम करने का एकमात्र तरीका जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को वायरस के संपर्क को कम करने के लिए उठाए जा सकने वाले उपायों के बारे में शिक्षित करना है.

(Photo credit: WHO)

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