क्यों कहते हैं 'झूठ बोले कौवा काटे', जाने इसके पीछे की असली कहानी?

'झूठ बोले कौवा काटे' बोलने के पीछे की वजह

"झूठ बोले कौवा काटे" एक प्रचलित हिंदी कहावत है जिसके पीछे कई कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं

प्राचीन मान्यता

पहले के समय किसी को झूठ बोलने पर कौए ने काटा होगा, तभी से यह कहावत प्रचलित हो गई.

झूठ और सच के रंग

दूसरा ये है कि झूठ को काला और सच को सफेद माना जाता है और कौए से काला कोई पक्षी नहीं है.

राजा की सुनाई हुई सजा

एक मान्यता ये भी हो सकती है कि किसी राजा ने झूठ बोलने पर सजा सुनाई होगी. तभी से ये कहावत प्रचलित हो गई.

सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ

समाज में इस कहावत का एक नैतिक शिक्षा के रूप में किया जाता है. बच्चों को यह कहावत सुनाकर सच्चाई का महत्व समझाया जाता है.

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह कहावत एक चेतावनी के रूप में काम करती है. जब किसी व्यक्ति को यह डर होता है कि झूठ बोलने पर उसे कोई नुकसान होगा, तो वह झूठ बोलने से बचता है.

कहावत का उद्देश्य

इस कहावत का यही उद्देश्य है कि लोग सच बोलें और झूठ से बचें.

आज के समय में उपयोग

आज भी आम बोलचाल में इसका उपयोग किसी को सच बोलने के लिए प्रेरित करने या उसे झूठ बोलने से रोकने लिए किया जाता है.

डिस्क्लेमर

यह कहावत एक मजाकिया अंदाज में सच्चाई की अहमियत को दर्शाती है. हालांकि इसके पीछे के कारण से जुड़ी मान्यताओं, कहानियों आदि की Zee News पुष्टि नहीं करता है. कृपया इसे जानकारी के उद्देश्य से लें.

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