सालों बाद भी इतनी रेलवेंट क्यों है आनंद पटवर्धन की 'राम के नाम'

Zee News Desk
Jul 01, 2024

1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के पहले लाल कृष्ण अडवानी की रथ यात्रा को फॉलो करते आनंद पटवर्धन पहुंचे अयोध्या.

आनंद ने यहां 2 साल तक ढेर सारे इंटरव्यू लिए, लोकल लीडर्स से बात की, कारसेवकों से बात, अयोध्या में रहने वाले हिन्दू-मुस्लिम से बात की और इनके फुटेज इकट्ठा किए.

VHP (विश्व हिन्दू परिषद) का विरोध करते हुए पुजारी लाल दास का भी इंटरव्यू लिया जो उस समय कोर्ट द्वारा निर्धारित पुजारी थे जहां राम भगवान की मूर्तियां रखी गई थी.

1993 में इन्ही पुजारी लाल दास की हत्या कर दी गई.

1992 में फिल्म ‘राम के नाम’ तैयार हुई तो इसे U यानी की यूनिवर्सल सर्टिफिकेट होने के बाद भी दूरदर्शन पर ब्रॉडकास्ट नहीं किया गया.

पटवर्धन ने इस मामले को लेकर कोर्ट का रुख किया और 5 साल बाद ये केस जीत लिया. फिर ये फिल्म दूरदर्शन पर दिखाई गई.

रिलीज के बाद ये फिल्म लोगों को खूब पसंद आई और कई फिल्म फेस्टिवल्स और कॉलेज फंक्शन्स में इसे दिखाया गया.

2014 में आनंद ने ये फिल्म अपने यू ट्यूब चैनल ‘Anandverite’ पर अपलोड की है. यहां आप इस फिल्म का बंगाली वर्जन भी देख सकते हैं जिसे कोंकणा सेन शर्मा ने डब किया है.

आप Patvardhan.com पर जाकर ये फिल्म कैसे बनाई गई इसके बारे में भी पढ़ सकते हैं.

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