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अमेरिका हाथ धोकर के टिकटॉक के पीछे क्‍यों पड़ा है?

भारत में बैन होने के बाद अब यूएस में बैन की मांग उठी है. एक समय में ताज पहनने वाला इस ऐप पर यूएस ताज पर कांटें क्यों लगा रहा है. वो इस चीनी ऐप के पीछे क्यों पड़ा है. आइए जानते हैं...  

अमेरिका हाथ धोकर के टिकटॉक के पीछे क्‍यों पड़ा है?
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Mohit Chaturvedi|Updated: Mar 15, 2024, 10:13 AM IST

टिकटॉक को 2016 में चीन में लॉन्च किया गया था. उसके बाद वो पॉपुलर हो गया. 2017 में ये पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने लगा. 2019 और 2020 में ये दुनिया का नंबर 1 ऐप बन गया. पिछले साल फेसबुक वाली कंपनी मेटा के इंस्टाग्राम को थोड़ी बढ़त मिली, जिसमें अक्टूबर से दिसंबर 2023 के बीच 76.8 करोड़ डाउनलोड हुए जबकि टिकटॉक पर 73.3 करोड़ डाउनलोड हुए. भारत में बैन होने के बाद अब यूएस में बैन की मांग उठी है. एक समय में ताज पहनने वाला इस ऐप पर यूएस ताज पर कांटें क्यों लगा रहा है. वो इस चीनी ऐप के पीछे क्यों पड़ा है. आइए जानते हैं...

टिकटॉक से परेशानी क्यों?

अमेरिका में 17 करोड़ लोग टिकटॉक इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वहां के कानून बनाने वाले चिंतित हैं कि चीन में बने इस ऐप पर उनका डेटा सुरक्षित नहीं है. बीबीसी के मुताबिक, 'चीन की कंपनियों को एक कानून के तहत मांगने पर सरकार के साथ डेटा शेयर करना जरूरी होता है.' ये चिंता पूरे पश्चिमी देशों में चीनी कंपनियों को लेकर है. इसलिए अमेरिका की संसद के निचले सदन ने कहा है कि अगर टिकटॉक को अमेरिका में चलना है, तो उसे कोई नया मालिक ढूंढना होगा. एक सख्त नाम वाले कानून 'विदेशी विरोधी नियंत्रित ऐप्स से अमेरिकियों का बचाव अधिनियम' के तहत इस ऐप को पूरी तरह बंद भी किया जा सकता है.

कैसे करेंगे कंट्रोल?

अमेरिका में एक लॉ है जो 'फॉरेन कंट्रोल' की बात करता है. इसका मतलब है कि अगर किसी विदेशी कंपनी या लोगों के ग्रुप की किसी अमेरिकी कंपनी में 20% या उससे ज्यादा की हिस्सेदारी है तो उसे कुछ पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है. टिकटॉक के मामले में, ये चिंता इसलिए है क्योंकि ये चीनी कंपनी ByteDance की है. हालांकि, ByteDance अपनी वेबसाइट पर कहता है कि असल में टिकटॉक की मालिकी बहुत फैली हुई है. जैसे 60% हिस्सा दुनिया भर के बड़े निवेशकों (जैसे Blackrock) का है, 20% हिस्सा कंपनी को बनाने वालों का है और 20% हिस्सा कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों का है, जिनमें 7,000 से ज्यादा अमेरिकी भी शामिल हैं.

कहां रखता है टिकटॉक अपना डेटा?

टिकटॉक कहता है कि चीन में मौजूद ByteDance के कर्मचारी अमेरिकी यूजर्स का डेटा नहीं देख सकते. उनका दावा है कि अमेरिकी यूजर्स का डेटा सिंगापुर में और अमेरिका में ही, ओरेकल नामक कंपनी के क्लाउड सर्वर पर स्टोर किया जाता है. बता दें, टिकटॉक के सीईओ शोउ जी च्यू भी सिंगापुर से ही हैं. लेकिन, वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन में ByteDance के दफ्तरों से अमेरिकी यूजर्स का निजी डेटा एक्सेस किया जा सकता था.

इसी वजह से सरकारी काम के लिए जारी किए गए अमेरिकी फोन पर टिकटॉक डाउनलोड नहीं किया जा सकता. कम से कम 34 अमेरिकी राज्यों में भी इसी तरह का बैन लगा है, और 50 से ज्यादा यूनिवर्सिटी ने अपने वाई-फाई और कंप्यूटरों पर टिकटॉक को इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है.

क्या अमेरिकी संसद में क्लियर होगा बिल?

टिकटॉक पर बैन लगाने के इस बिल को अमेरिकी संसद के निचले सदन में 352 वोट और 65 वोट विपक्ष में पास कर दिया गया. इसका मतलब है कि दोनों पार्टियों, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, के ज्यादातर नेताओं ने इसे समर्थन दिया. लेकिन ये बिल अभी ऊपरी सदन (Senate) में अटका हुआ है. वहां 100 सदस्य हैं और वहाँ इस बिल का आसानी से पास होना मुश्किल है.

ऊपरी सदन के नेता चक शूमर (डेमोक्रेट पार्टी) ने कहा है कि इस बिल की समीक्षा की जाएगी और पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया है. अभी तक ऊपरी सदन में वोटिंग की कोई तारीख भी नहीं तय की गई है. इस बीच खबर है कि टिकटॉक के CEO सीईओ च्यू सीनेटरों से बात करने के लिए वाशिंगटन जा रहे हैं. टिकटॉक का कहना है कि ये कंपनी 'किसी भी सरकारी या राज्य संस्था के स्वामित्व में या नियंत्रण में नहीं है' और चीन सरकार के अधिकारियों ने भी इस मामले में किसी भी तरह के दखल का इनकार किया है.

कितने देशों ने किया टिकटॉक बैन?

भारत ने 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के झगड़े के बाद टिकटॉक समेत कई चाइनीज ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी. नेपाल ने भी पिछले साल इसे "समाज में अशांति फैलाने वाला कंटेंट" के चलते बैन कर दिया था. यूरोपीय संघ और ज्यादातर पश्चिमी देशों में भी सरकारी फोन और अधिकारियों के डिवाइस पर इसे इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है.

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