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बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान! आतंकवादियों की मदद के लिए LOC पर गाड़ दिए टेलीकॉम टावर्स

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में LOC के पास दूरसंचार टावरों की संख्या बढ़ गई है. माना जा रहा है कि यह वृद्धि आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की घुसपैठ गतिविधियों में सहायता करेगी.   

बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान! आतंकवादियों की मदद के लिए LOC पर गाड़ दिए टेलीकॉम टावर्स
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Mohit Chaturvedi|Updated: Feb 20, 2024, 10:23 AM IST

ऑफिशियल्स ने बताया है कि हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में LOC के पास दूरसंचार टावरों की संख्या बढ़ गई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है कि यह वृद्धि आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की घुसपैठ गतिविधियों में सहायता करेगी. आतंकवादी ग्रुप अक्सर YSMS सर्विस का उपयोग करते हैं, जो एक हाइली एन्क्रिप्टेड टेक्नोलॉजी है. यह टेक्नोलॉजी गुप्त संचार के लिए स्मार्टफोन और रेडियो सेट को जोड़ती है.

क्या है YSMS टेक्नोलॉजी?

सुरक्षा अधिकारियों ने पाया है कि हाल ही में पकड़े गए आतंकियों और घुसपैठियों के पास YSMS तकनीक का इस्तेमाल हो रहा था. ये एक ऐसा तरीका है जिसमें स्मार्टफोन और रेडियो को मिलाकर गुप्त संदेश भेजे जाते हैं. खासकर जम्मू इलाके में पीर पंजाल पहाड़ियों के दक्षिण में, आतंकियों ने इसी तकनीक का इस्तेमाल किया है. अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के सरगना इस तकनीक से जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले आतंकियों और उनका स्वागत करने वालों से सीधे संपर्क कर पाते हैं. ये संपर्क पाकिस्तान और भारत के बीच की सीमा पर काम करने वाले दूरसंचार नेटवर्क के जरिए होता है. इस तरह आतंकी भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल को चकमा देकर बातचीत कर पाते हैं.

मेजर जनरल उमर अहमद शाह को दिया फोन सिग्नल बढ़ाने का काम

फोन सिग्नल बढ़ाने का काम अब पूरी तरह से 'स्पेशल कम्युनिकेशन ऑर्गनाइजेशन' (SCO) को सौंप दिया गया है. इसे पाकिस्तानी सेना के एक अफसर मेजर जनरल उमर अहमद शाह चला रहे हैं. माना जा रहा है कि वो पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ काम कर चुके हैं. 

कर रहा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

सीमा के पास पाकिस्तान ने जो फोन टावर लगाए हैं, वो उन नियमों के खिलाफ हैं जो दुनिया के सभी देशों ने माने हैं. इन टावरों से आतंकियों को मदद मिलने का शक है क्योंकि वो इनका इस्तेमाल गुप्त बातचीत और घुसपैठ के लिए कर सकते हैं. ये काम इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) के नियमों के खिलाफ है, जो संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग है. ITU के नियम कहते हैं कि कोई भी देश अपने फोन टावरों का इस्तेमाल दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं कर सकता.

दुनिया के सभी देशों को एक साथ जोड़ने वाला संघ, 'इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन' (ITU) के नियमों में कहा गया है कि उसके 193 सदस्य देशों को कुछ जरूरी काम करने होंगे. इनमें से एक है - किसी भी ऐसे सिग्नल को रोकना जो किसी की पहचान बताता हो या उसकी लोकेशन ट्रैक करने में मदद करता हो. अगर ऐसे सिग्नल किसी देश की सीमा में पाए जाएं, तो उस देश को बाकी देशों के साथ मिलकर यह पता लगाना होगा कि ये सिग्नल कहां से आ रहे हैं और कौन उन्हें भेज रहा है.

CDMA पर रन कर रहे पाकिस्तान के टेलीकॉम टावर्स

अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सीमा के पास लगाए गए नए फोन टावर सीडीएमए टेक्नोलॉजी से चलते हैं और इनका एन्क्रिप्शन (कोडिंग) एक चीनी कंपनी ने किया है. माना जा रहा है कि ये खासतौर से YSMS तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए किया गया है. ये गैरकानूनी फोन नेटवर्क आतंकियों और उनके साथियों को जम्मू कश्मीर में घुसपैठ में मदद कर रहे हैं. खासतौर पर सीमा के पास सीडीएमए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल निगरानी को मुश्किल बनाने के लिए किया गया है, क्योंकि इस टेक्नोलॉजी में एक ही सिग्नल चैनल पर कई सारे सिग्नल चल सकते हैं, जिससे गैरकानूनी बातचीत को पकड़ना मुश्किल हो जाता है.

जैमर्स भी इसके खिलाफ इफेक्टिव नहीं

अब तक, आतंकियों के मोबाइल फोन सिग्नल रोकने के लिए पुराने तरीके जैसे जैमर और खास एक्सेस सिस्टम काम नहीं आ रहे थे. इसलिए, अब ऐसी नई तकनीकें बनाई जा रही हैं जो किसी खास इलाके में एक्टिव फोन को ढूंढकर बंद कर सकें. 

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