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हवाई यात्रा के दौरान फोन को Flight Mode पर ना लगाया तो क्या होगा? जानें क्यों फ्लाइट का क्रू हर पैसेंजर से करवाता है ये काम

Phone During Flight: हवाई सफर के दौरान अगर फोन को एयरप्लेन मोड पर ना डाला जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और इसके बारे में ज्यादातर लोगों को कोई भी अंदाजा नहीं होता है.

हवाई यात्रा के दौरान फोन को Flight Mode पर ना लगाया तो क्या होगा? जानें क्यों फ्लाइट का क्रू हर पैसेंजर से करवाता है ये काम
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Vineet Singh|Updated: Jun 25, 2023, 02:39 PM IST

Flight Mode in Smartphone: अगर आपने कभी हवाई सफर किया हो तो देखा होगा कि जैसे ही फ्लाइट टेक ऑफ करने जाती है उससे पहले ही सभी यात्रियों से कह दिया जाता है कि उन्हें अपना स्मार्टफोन फ्लाइट मोड पर डालना पड़ेगा या फिर स्विच ऑफ करना पड़ेगा. चाहे वह फ्लाइट 2 घंटे की हो या फिर 2 दिन की हो, अगर आप हवाई जहाज से सफर कर रहे हैं तो आपको किसी भी सूरत में फोन को एयरप्लेन मोड पर डालना ही पड़ता है और इसके लिए हर स्मार्टफोन में एयरप्लेन मोड दिया ही जाता है. हालांकि इसकी वजह से लोग फ्लाइट के दौरान ना तो कॉलिंग कर पाते हैं और ना ही किसी को मैसेज भेज पाते हैं और ना ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके पीछे का कारण नहीं पता होगा. अगर आप भी फ्लाइट में सफर करते हैं और आज तक आपको इस बारे में जानकारी नहीं है तो आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताने जा रहे हैं जिसे जान आपके लिए बेहद ही जरूरी है.

आखिर क्यों फ्लाइट मोड पर लगाने को कहा जाता है स्मार्टफोन

आपको यह बात शायद उतनी गंभीर ना लगे जितनी यह असल में गंभीर है क्योंकि फ्लाइट मोड पर अगर आप स्मार्टफोन नहीं डालते हैं तो विमान के नेविगेशन में दिक्कत आ सकती है और वह बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है. सुनने में यह बात मामूली लग सकती है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि इसकी वजह से विमान एक बेहद ही खौफनाक हादसे का शिकार हो सकता है.

आखिर क्यों फ्लाइट मोड पर फोन डालना है जरूरी

दरअसल जब आप अपना स्मार्टफोन फ्लाइट मोड पर डालते हैं तो हवाई यात्रा के दौरान सेल्यूलर नेटवर्क से किसी भी तरह विमान का नेविगेशन प्रभावित नहीं होता है वहीं पर आप अगर अचानक से हवाई यात्रा के दौरान अपने फोन को फ्लाइट मोड पर से हटा लेते हैं तो ऐसा करने से सेल्यूलर नेटवर्क एक्टिव हो जाएगा और इसकी वजह से विमान का नेविगेशन बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा और नेविगेशन का काम होता है विमान को रास्ता दिखाना. अगर विमान का नेविगेशन प्रभावित होता है तो यह रास्ता भटक सकता है और अपनी तैल लोकेशन से हटकर किसी अन्य लोकेशन पर पहुंच सकता है और क्रश भी हो सकता है ऐसे में गंभीरता से इस बात पर जोर देकर फ्लाइट में बैठे हुए सभी यात्रियों का फोन एयरप्लेन मोड पर करवाया जाता है. 

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