Delhi-NCR Earthquake: आज यानी 3 अक्टूबर की दोपहर दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. नेपाल में 10 किमी की गहराई पर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था. यह झटके करीब 1 मिनट तक महसूस किए गए थे. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने कहा कि भूकंप का केंद्र नेपाल में 29.39 डिग्री उत्तर अक्षांश पर और 81.23 डिग्री पूर्व देशांतर पर स्थित था. भूकंप राजधानी नई दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों सहित भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किया गया. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि भूकंप आते क्यों है और इसको मापा कैसे जाता है? आइए जानते हैं...
क्यों आते हैं भूकंप?
आसान शब्दों में समझा जाए तो जमीन के कांपने को भूकंप कहा जाता है. धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं. ये प्लेटें लगातार घूमती रहती हैं, और जब वे एक-दूसरे से टकराते हैं या स्लाइड करती हैं, तो ऊर्जा रिलीज होती है. यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों के रूप में यात्रा करती है, जो पृथ्वी की सतह पर कंपन का कारण बनती हैं.
कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता?
भूकंप विज्ञान केंद्रों के लिए भूकंप की तीव्रता और समय का पता लगाना बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसके लिए वे सिस्मोग्राफ नामक एक डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं. सिस्मोग्राफ एक ऐसा डिवाइस है जो भूकंप के दौरान जमीन के कंपन को रिकॉर्ड करता है. इस रिकॉर्ड को सिस्मोग्राम कहते हैं. सिस्मोग्राफ के जरिए भूकंप की तीव्रता और समय का पता लगाया जा सकता है.
रिक्टर स्केल एक ऐसा पैमाना है जो भूकंप की तरंगों की तीव्रता को मापता है. इसे रिएक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता को 1 से 10 के बीच मापा जाता है. 1 से 2 तीव्रता के भूकंप को हल्का भूकंप कहा जाता है, जबकि 10 तीव्रता का भूकंप एक बहुत ही शक्तिशाली भूकंप होता है.