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India में छोटी जबकि America में बड़ी क्यों होती हैं कारें? ये हैं वजह

Cars Size Difference: अमेरिका और भारत में कारों के बीच आकार का अंतर प्राथमिकताओं, आर्थिक स्थितियों, बुनियादी ढांचे और नियमों सहित कई कारणों से प्रभावित होता है. चलिए, इसके पीछे के कुछ कारणों पर नजर डालते हैं.

India में छोटी जबकि America में बड़ी क्यों होती हैं कारें? ये हैं वजह
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Lakshya Rana|Updated: Aug 10, 2023, 10:46 AM IST

Cars Size Difference In America Vs India: अमेरिका में ज्यादातर लोगों के पास बड़ी कारें देखने को मिलती हैं जबकि भारत में छोटी कारों की बहुत बिक्री होती है. अमेरिका और भारत में कारों के बीच आकार का अंतर प्राथमिकताओं, आर्थिक स्थितियों, बुनियादी ढांचे और नियमों सहित कई कारणों से प्रभावित होता है. चलिए, इसके पीछे के कुछ कारणों पर नजर डालते हैं.

अमेरिका में ज्यादा कारें बड़ी क्यों होती हैं?

प्राथमिकताएं: अमेरिकी उपभोक्ता अक्सर अपने वाहनों में विशालता, आराम और बहुमुखी प्रतिभा को प्राथमिकता देते हैं. बड़ी कारें, एसयूवी और ट्रक अधिक केबिन स्पेस और कार्गो क्षमता की इच्छा को पूरा करते हैं, जो अमेरिकी जीवनशैली और लंबी यात्राओं की आवश्यकता के अनुरूप है.

चौड़ी सड़कें और बुनियादी ढांचा: अमेरिका में चौड़ी सड़कों, राजमार्गों और पार्किंग्स का व्यापक नेटवर्क है, जो बड़े वाहनों के लिए अच्छी चीजे हैं. पर्याप्त सड़क स्पेस और पार्किंग एरिया से अमेरिकियों के लिए बड़ी कारों को चलाना और इस्तेमाल करना आसान हो जाता है.

आर्थिक समृद्धि: अमेरिका में आमतौर पर आय स्तर काफी ऊपर है, जिससे उपभोक्ताओं को बड़े वाहन खरीदने की आजादी मिलती है, जो हाई प्राइस टैग और ओपरेटिंग कॉस्ट के साथ आते हैं. यह बड़ी और अधिक शानदार कारों की मांग में योगदान देता है.

नियम: अमेरिका में वाहन के साइज को लेकर नियम कम प्रतिबंधात्मक हैं और बाजार में बड़े वाहनों को प्राथमिकता दी जाती है. इसीलिए, अमेरिकन कार कंपनियां बड़ी कारें बनाना पसंद करती हैं और लोग बड़ी कारें खरीदना पसंद करते हैं. 

भारत में छोटी कारें ज्यादा क्यों हैं?

शहरों में भीड़भाड़: आम तौर पर भारतीय शहर घनी आबादी वाले होते हैं और भारी भीड़ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. संकरी गलियों और भीड़-भाड़ वाले शहरी इलाकों में चलने के लिए छोटी कारें अधिक व्यावहारिक होती हैं.

सीमित पार्किंग: भारतीय शहरों में पार्किंग एक बड़ी चुनौती है. छोटी कारों को तंग जगहों पर पार्क करना आसान होता है, जो उन क्षेत्रों में जरूरी हो जाता है जहां पार्किंग कम हैं.

माइलेज: फ्यूल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बचत पर जोर देने के कारण कई भारतीय उपभोक्ताओं के लिए माइलेज बहुत जरूरी फैक्टर होता है, जो उन्हें आम तौर पर छोटी कारों में की ओर ले जाता है.

प्राइस-सेंसिटिव मार्केट: भारत एक प्राइस-सेंसिटिव मार्केट है, यहां वाहन की कीमतों को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. छोटी कारें अक्सर कम कीमत पर आती हैं, जिससे वह ज्यादा उपभोक्ताओं की आकर्षित करती हैं.

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