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Shower Effect: क्या आपको भी बाथरूम में आते हैं क्रिएटिव आइडिया, तो आपको पढ़नी चाहिए ये खबर

Creative Idea: बाथरूम में शॉवर में नहाते वक्त क्रिएटिव आइडिया आने को वैज्ञानिक शॉवर इफेक्ट का नाम देते हैं. हाल ही में दो रिसर्च हुई हैं जिनमें यह जानने की कोशिश की गई है कि बाथरूम में लोगों को बेस्ट आइडिया क्यों आते हैं.

Shower Effect: क्या आपको भी बाथरूम में आते हैं क्रिएटिव आइडिया, तो आपको पढ़नी चाहिए ये खबर
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Zee News Desk|Updated: Oct 11, 2022, 09:01 PM IST

New Research: क्या आपके दिमाग में भी शावर से गिरते पानी में नहाते वक्त शानदार आइडिया आते हैं. दरअसल ऐसा कई लोगों के साथ होता है. वैज्ञानिकों ने इसे नाम दिया है शॉवर इफेक्ट. हालांकि हाल ही में दो नए अध्ययन किए गए हैं जिनमें यह जानने की कोशिश की गई है कि बाथरूम में लोगों को बेस्ट आइडिया क्यों आते हैं.

हम इनमें से एक स्टडी के बारे में बताएंगे. यह शोध वर्जिनिया यूनिवर्सिटी में फिलॉस्फी ऑफ कॉग्नीटिव साइंस के शोधकर्ता जैक इरविंग ने किया है. जैक का मानना है कि जरुरत से ज्यादा कंसंट्रेशन हमारी कल्पनीशीलता के लिए सही नहीं है. अगर आप किसी एक समस्या का समाधान खोजने के लिए लगातार काम कर  रहे हैं तो बेहतर है आप कुछ देर के लिए कुछ और काम करें जैसे की नहाना.

हमारे दिमाग पर सकारात्मक असर डालता है बाथरूम का वातावरण 
जैक के मुताबिक बाथरूम का वातावरण हमारे दिमाग पर सकारात्मक असर डालता है. हम अलग-अलग दिशाओं में सोचना शुरू कर देते हैं वह भी बिना किसी कंसंट्रेशन के. ऐसे में शानदार आइडिया आने की संभावना ज्यादा रहती है.  

लगातार एक जैसा काम करना या फिर ऐसा काम करना जिसमें आप खुद शामिल न हों क्रिएटिविटी को कमजोर करता है. बागबानी करना या फिर नहाना ऐसे काम हैं जो कम लेवल पर आपको व्यस्त रखते हैं. इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है. इसके अलावा नहाना उन कामों में शामिल है जिसमें किसी तरह की डिमांड नहीं होती है. ऐसे काम करने में दिमाग बंधनों से मुक्त होता है और स्वतंत्र होकर सोचना शुरू कर देता है.

शॉवर इफेक्ट को किए रिसर्च के नतीजे आए अलग-अलग
हालांकि अब तक शॉवर इफेक्ट पर जितने भी रिसर्च किए गए हैं उनके नतीजे एक जैसे नहीं आए हैं. इस बारे में जैक इरविंग का कहना है कि पुराने प्रयोगों के डिजाइन में कुछ गलतियां थीं. पुराने अध्ययन यह पता नहीं कर पाए थे कि फ्री थिंकिंग और फोकस्ड थिंकिंग में संतुलन रखना पड़ता है. दरअसल पुराने अध्ययन ये न बताकर कि नहाते समय दिमाग क्यों फ्री होता है ये बता रहे थे कि दिमाग का ध्यान बंटता कैसे है.

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