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Space Station: पृथ्वी से 400 km ऊपर मची थी खलबली, मिट जाता स्पेस स्टेशन का नामो-निशान, बच ही गए..

International Space Station: दुनिया के अलग-अलग देशों में क्या हो रहा है..? इस बारे में हमें पल-पल की जानकारी मिलती रहती है. लेकिन अंतरिक्ष की दुनिया से ज्यादातर लोग अंजान रहते हैं. कल यानी 24 अगस्त को अंतरिक्ष में ऐसा कुछ हुआ, जिसका अंजाम बेहद भयानक हो सकता था.

Space Station: पृथ्वी से 400 km ऊपर मची थी खलबली, मिट जाता स्पेस स्टेशन का नामो-निशान, बच ही गए..
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Gunateet Ojha|Updated: Aug 25, 2023, 06:09 PM IST

International Space Station: दुनिया के अलग-अलग देशों में क्या हो रहा है..? इस बारे में हमें पल-पल की जानकारी मिलती रहती है. लेकिन अंतरिक्ष की दुनिया से ज्यादातर लोग अंजान रहते हैं. कल यानी 24 अगस्त को अंतरिक्ष में ऐसा कुछ हुआ, जिसका अंजाम बेहद भयानक हो सकता था. स्पेस स्टेशन खतरे में था और इसे बचाने के लिए जद्दोजहद की जा रही थी. आइये आपको विस्तार से बताते हैं अंतरिक्ष में हुई इस बेदह खतरनाक घटना के बारे में.

इस घटना के बारे में जानने के लिए पहले आपका यह जानना जरूरी है कि तमाम देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां धरती से तकरीबन 400 कि.मी. ऊपर स्थापित स्पेस स्टेशन (ISS) का रख-रखाव करती हैं और अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियां एकत्र करती हैं. आईएसएस यानी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर गुरुवार (24 अगस्त) को भारी मात्रा में अंतरिक्ष कचरा तेजी से बढ़ रहा था.

जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर एक रूसी मॉड्यूल कक्षा परिसर को अंतरिक्ष कबाड़ से दूर ले जाने के लिए लगभग 11 बजे ईडीटी (मॉस्को में 1500 जीएमटी या शाम 6 बजे) चालू हुआ. सरल शब्दों में इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि स्पेस स्टेशन की जगह बदलनी पड़ी. नासा ने ईमेल के जरिए इस घटना की पुष्टि भी की है.

नासा के अधिकारियों ने ईमेल के जरिये बताया, 'गुरुवार को, परिसर को कक्षीय मलबे के टुकड़े के अनुमानित ट्रैक से दूर ले जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के ज़्वेज़्दा सेवा मॉड्यूल इंजन को 21.5 सेकंड के लिए चालू किया गया था.' अंतरिक्ष स्टेशन ने अपनी कक्षा को पृथ्वी की ओर लगभग 1,640 फीट (500 मीटर) नीचे ले जाया गया. बता दें कि पृथ्वी से आईएसएस की औसत ऊंचाई लगभग 250 मील या 400 किमी है.

बता दें कि अंतरिक्ष के कचरों के कारण 1999 के बाद से आईएसएस की जगह 30 से अधिक बार बदली गई है. सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष कबाड़ के जमा होने के कारण इसकी आवश्यकता अब और बढ़ रही है. यह स्पष्ट नहीं है कि इस बार मलबा अंतरिक्ष स्टेशन के कितने करीब से गुजरा. हालांकि, सामान्य तौर पर, ऐसे फ्लाईबाई अपेक्षाकृत दूर से होते हैं.

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