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Mangalyaan की विदाई से भारत को बड़ा नुकसान, US-यूरोप पर इसके लिए होना पड़ेगा निर्भर

Mars Orbit Mission: मंगलयान (Mangalyaan) से भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का संपर्क टूट चुका है. आइए जानते है कि इससे भारत को क्या नुकसान होगा.

मंगलयान की विदाई से नुकसान.
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Zee News Desk|Updated: Oct 03, 2022, 02:24 PM IST

Mangalyaan News: भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के मंगलयान (Mangalyaan) में ईंधन खत्म हो गया और उसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे इसरो का मंगलयान से संपर्क टूट गया है. बता दें कि 450 करोड़ रुपये की लागत वाला मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) 5 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहली ही कोशिश में 24 सितंबर, 2014 को मंगल की कक्षा में स्थापित करने में कामयाबी पा ली थी. इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था. उन्होंने कहा कि इसने अपना काम बखूबी किया. आइए जानते हैं कि मंगलयान की विदाई से भारत को क्या नुकसान होंगे.

मंगलयान से संपर्क टूटा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सूत्रों ने कहा कि अब, कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है. संपर्क खत्म हो गया है. एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल 1 घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिजाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग खत्म हो गई.

मंगलयान की विदाई से भारत को नुकसान

बता दें कि मंगलयान की विदाई हो जाने से अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों पर मंगल ग्रह से डेटा पाने के लिए भारत को निर्भर होना होगा. जब मंगलयान-2 मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित नहीं होता है तब तक नई रिसर्च नहीं हो पाएगी. मंगलयान से संपर्क टूटना भारत के लिए नुकसानदायक साबित हुआ.

इसरो की बड़ी उपलब्धि है मंगलयान

गौरतलब है कि मंगलयान ने भारत और इसरों का नाम ऊंचा किया. मंगलयान 11 महीने स्पेस की यात्रा करने के बाद मंगल ग्रह के पास पहुंचा था. यह भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है. यह पहली बार था जब किसी देश ने पहले प्रयास में अंतरिक्षयान मंगल तक पहुंचाया था और मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया था.

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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