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ISRO Chandrayaan 4: चंद्रयान-4 के जरिए इतिहास रचेगा भारत! लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में असेंबल होगा स्पेसक्राफ्ट

Chandrayaan-4 Mission News: ISRO का चंद्रयान-4 मिशन अनोखा होगा. इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट के पार्ट्स को दो बार में लॉन्च किया जाएगा. फिर उन पार्ट्स को अंतरिक्ष में असेंबल किया जाएगा.

ISRO Chandrayaan 4: चंद्रयान-4 के जरिए इतिहास रचेगा भारत! लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में असेंबल होगा स्पेसक्राफ्ट
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Deepak Verma|Updated: Jun 27, 2024, 01:45 PM IST

Chandrayaan-4 Mission Details: भारत का चौथा चंद्रमा मिशन ऐतिहासिक होगा. चंद्रयान-4 को दो भागों में लॉन्च किया जाएगा. फिर अंतरिक्ष में इन दोनों भागों को एक कर स्पेसक्राफ्ट तैयार होगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बुधवार को चंद्रयान-4 मिशन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में इसलिए भेजना पड़ रहा है क्योंकि यह इतना भारी है कि उसे ISRO का सबसे ताकतवर रॉकेट भी नहीं ले जा सकता.

ISRO चेयरमैन के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट के अलग-अलग पार्ट्स को दो बार में लॉन्च करके ऑर्बिट में भेजा जाएगा. चंद्रमा की यात्रा शुरू करने से पहले, सभी पार्ट्स को असेंबल करके चंद्रयान-4 को तैयार किया जाएगा. अंतरिक्ष में ऐसा पहले भी किया जा चुका है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और उस तरह की अन्य फैसिलिटीज को इसी तरह असेंबल किया गया था. हालांकि, यह शायद पहली बार होगा जब किसी स्पेसक्राफ्ट को टुकड़ों में लॉन्च करके अंतरिक्ष में असेंबल किया जाएगा.

चंद्रयान-4 मिशन के बारे में ISRO चीफ ने क्या बताया?

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने दिल्ली में एक इवेंट के दौरान चंद्रयान-4 मिशन की इस खासियत का खुलासा किया. उन्होंने कहा, 'हमने चंद्रयान-4 की कॉन्फिगरेशन तैयार कर ली है... कैसे चंद्रमा से सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे. हम ऐसा कई लॉन्च के जरिए करने का प्रस्ताव रखते हैं क्योंकि हमारी वर्तमान रॉकेट क्षमता इतनी ताकतवर नहीं है कि एक ही बार में ऐसा किया जा सके.'

सोमनाथ ने आगे समझाया, 'इसकी खातिर हमें अंतरिक्ष में डॉकिंग (स्पेसक्राफ्ट के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ना) की क्षमता हासिल करनी होगी. हम उस क्षमता का विकास कर रहे हैं. इस क्षमता को दिखाने के लिए हमारे पास इस साल के आखिर में Spadex नाम का मिशन तय है.'

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चंद्रमा से लौटते हुए स्पेसक्राफ्ट के मॉड्यूल्स की डॉकिंग एक रूटीन मैनूवर है. इसमें मुख्य स्पेसक्राफ्ट का एक हिस्सा अलग हो जाता है और लैंड करता है जबकि बाकी हिस्सा चंद्रमा के ऑर्बिट में रहता है. जब लैंडिंग वाला हिस्सा चंद्रमा की सतह छोड़ता है तो वह फिर स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाता है. ISRO दुनिया में पहली बार चंद्रमा के रास्ते पर, पृथ्वी के ऑर्बिट में डॉकिंग की तैयारी कर रहा है.

सोमनाथ ने कहा, 'हम यह दावा नहीं कर रहे कि ऐसी कोशिश करने वाले हम पहले हैं लेकिन मुझे जानकारी नहीं है कि किसी और देश ने कभी ऐसा किया हो.'

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चंद्रयान-4: सरकार को भेजा जाएगा प्लान

ISRO चीफ ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन पर एक विस्तृत स्टडी, इंटरनल रिव्यू और लागत के बारे में सारी जानकारी जल्द ही सरकार को भेज दी जाएगी. ISRO चंद्रयान-4 के अलावा तीन और प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार का अप्रूवल लेगी जो उसके विजन 2047 का हिस्सा हैं. भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन तैयार करना चाहता है. 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेजने की भी योजना है.

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