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क्या प्रकाश की ऊर्जा से ब्लैक होल बन सकता है? महान वैज्ञानिक आइंस्टीन को चुनौती दे रही नई स्टडी

Black Hole Theory: आइंस्टीन के समीकरण E = mc² के हिसाब से चलें तो प्रकाश को एक जगह दबाने पर ब्लैक होल का निर्माण हो सकता है. एक नई स्टडी इस थ्‍योरी को चुनौती पेश करती है.

क्या प्रकाश की ऊर्जा से ब्लैक होल बन सकता है? महान वैज्ञानिक आइंस्टीन को चुनौती दे रही नई स्टडी
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Deepak Verma|Updated: Jun 24, 2024, 11:58 AM IST

Einstein And Black Holes: अगर पर्याप्त मात्रा में चीजों को एक जगह पर दबा दिया जाए, तो स्पेस-टाइम एक ब्लैक होल में सिमट जाएगा. अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरणों के हिसाब से चलें तो इन 'चीजों' में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की द्रव्यमान रहित चमक भी शामिल है. E = mc² समीकरण जो द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच तुल्यता की व्याख्या करता है, उसके मुताबिक, प्रकाश की ऊर्जा ही - सैद्धांतिक रूप से - ब्लैक होल को बनाने के लिए काफी है अगर यह पर्याप्त मात्रा में एक जगह केंद्रित हो. लेकिन क्या वास्तविकता में ऐसा संभव है?

आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती

स्पेन की मैड्रिड स्थित कॉम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी और कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की मानें तो यह अंसभव है. श्विंगर इफेक्ट इस पूरी प्रक्रिया को शुरू होने से पहले भी असंभव बना देता है. आइंस्टीन का सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत (General Theory of Relativity) ऊर्जा की मौजूदगी के संबंध में स्पेस और टाइम के डिस्टॉर्शन (विरूपण) के बारे में बताता है, जैसे कि द्रव्यमान में निहित ऊर्जा. इसके अनुसार, अगर एक स्थान पर पर्याप्त द्रव्यमान रखें तो विरूपण इतना चरम हो जाएगा कि कुछ भी नहीं - यहां तककि प्रकाश भी - बच नहीं पाएगा.

1950 के दशक में, अमेरिकी फिजिसिस्ट जॉन व्हीलर ने पाया कि आइंस्टीन के सिद्धांत में ऐसा कुछ नहीं है जो इस संभावना को खत्म कर दे कि ग्रेविटेशनल या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के पर्याप्त संकेन्द्रण के भीतर की ऊर्जा स्पेस-टाइम को इतना डिस्टॉर्ट कर सकती है कि वे तरंगें अपने स्थान पर ही फंसी रह जाएं. व्हीलर ने इसे 'जियोन' कहा था. इसे एक प्रकार का काल्पनिक, बेहद अस्थिर कण माना गया.

यह भी पढ़ें: आइंस्टीन के 109 साल पुराने सिद्धांत को चुनौती, ग्रेविटी के लिए द्रव्यमान जरूरी नहीं!

नई स्टडी में क्या सामने आया?

जियोन का ही एक रूप कुगेलब्लिट्ज हमें अक्सर साइंस फिक्शन में नजर आता है. प्रस्ताव रखा गया कि इन छोटे-छोटे प्रोटॉन साइज के ब्लैक होल का निर्माण प्रकाश की अविश्वसनीय रूप से ऊर्जावान किरणों, जैसे कि भविष्य के उच्च-शक्ति वाले लेजर, के तीव्र फोकस में होता है.

आइंस्टीन का सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत कुगेलब्लिट्ज को मान्यता देता है लेकिन क्वांटम फिजिक्स नहीं. स्पेनिश और कनाडाई रिसर्चर्स की टीम ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्रों के व्यवहार पर स्टडी की. उनका पेपर पीयर-रिव्यू से नहीं गुजरा है. इसके मुताबिक, श्विंगर इफेक्ट कुगेलब्लिट्ज के निर्माण को रोक देगा.

अपने एनालिसिस में रिसर्च टीम ने लिखा, 'हमारा विश्लेषण मजबूती से सुझाव देता है कि केवल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से ब्लैक होल का निर्माण असंभव है, चाहे वह किसी काल्पनिक प्रयोगशाला सेटिंग में प्रकाश को केंद्रित करके हो या प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली खगोलीय घटनाओं में.'

हालांकि, रिसर्चर्स ने संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया. उन्होंने माना कि ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में शायद 'असाधारण रूप से चरम स्थितियां' रही होंगी.

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