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Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी कब है? एक काम करने से मिलेगा 84 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फल

Yogini Ekadashi 2024: जुलाई महीने में योगिनी एकादशी पड़ रही है. आषाढ़ महीने के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म में इस व्रत को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है.

Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी कब है? एक काम करने से मिलेगा 84 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फल
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Shraddha Jain|Updated: Jun 30, 2024, 10:37 AM IST

Ekadashi 2024 July: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्‍णु को समर्पित किया गया है. साल की सभी 24 एकादशी को व्रत रखा जाता है, विधि-विधान से श्रीहरि विष्‍णु की पूजा की जाती है. इनमें से कुछ एकादशी को बेहद अहम माना गया है. इसमें आषाढ़ मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी शामिल है. इसे योगिनी एकादशी कहते हैं. इस साल योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024, मंगलवार को पड़ रही है. इस साल योगिनी एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो पूजा-व्रत का कई गुना ज्‍यादा फल देंगे. 

योगिनी एकादशी कब है? 

पंचांग के अनुसार आषाढ़ कृष्‍ण एकादशी तिथि 1 जुलाई 2024 को सुबह 10:12 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 2 जुलाई 2024 को सुबह 9 बजकर 23 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार एकादशी व्रत 2 जुलाई को ही रखा जाएगा. योगिनी एकादशी के दिन श्रीहरि की पूजा सुबह की जाती है, इसके लिए सुबह 08.56 से दोपहर 02.10 तक शुभ मुहूर्त है. वहीं योगिनी एकादशी का व्रत पारण 3 जुलाई 2024 को सुबह 05.28 मिनट से सुबह 07.10 मिनट पर किया जाएगा. 

योगिनी एकादशी पर शुभ योग 

इस साल योगिनी एकादशी के दिन कई शुभ योगों का विशेष योग बन रहा है. 2 जुलाई को योगिनी एकादशी के दिन धृति और शूल योग बनेगा और कृतिका नक्षत्र रहेगा. 

योगिनी एकादशी का महत्‍व 

योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारी परेशानियां, रोग और कष्‍ट दूर होते हैं. भगवान विष्‍णु की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सारे सुखों की प्राप्ति होती है. साथ ही योगिनी एकादशी व्रत को इतना अहम माना गया है कि इस दिन व्रत-पूजा और दान करने से 84 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है. 

योगिनी एकादशी पूजा नियम 

एकादशी तिथि से एक दिन पहले भी सात्विक भोजन करें. फिर एकादशी व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की पूजा करें. इस दिन नाखून-बाल ना काटें. उपवास करें. पूजा में तुलसी दल जरूर अर्पित करें. अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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