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Vikata Sankashti Chaturthi 2024: अप्रैल में कब है विकट संकष्टी चतुर्थी? जान लें सही डेट, मुहूर्त और महत्व

Vikata Sankashti Chaturthi 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 28 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. इसको देखते हुए 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा.

Vikata Sankashti Chaturthi 2024: अप्रैल में कब है विकट संकष्टी चतुर्थी? जान लें सही डेट, मुहूर्त और महत्व
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Gurutva Rajput|Updated: Apr 23, 2024, 02:57 PM IST

April Sankashti Chaturthi 2024 Date: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले गणेश जी की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से कार्य में शुभ परिणाम मिलते हैं. हर महीने में दो बार गणेश जी को समर्पित संकष्टी चतुर्थी किया जाता है. वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाए जाने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत को विकट संकष्ट चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन गणेश जी की पूजा और व्रत रखने का विधान है. आइए जानते हैं इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व.

कब है विकट संकष्टी चतुर्थी 2024?
हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 28 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. इसको देखते हुए 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन विकट चंद्रोदय रात में 10 बजकर 23 मिनट पर होगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक है.

विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है गणेश जी उसको परेशानियों से निजात दिलाते हैं. इसी के साथ मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. कहा जाता है कि रात में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिंक शांति की भी प्राप्ति होती है. 

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करें इन मंत्रों का जाप

1. ॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
2. महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
3. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
4.  ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
5. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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