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Mahakal mandir: महाकाल मंदिर में रोज 10 मिनट के लिए महिलाओं को दर्शन क्‍यों नहीं करने दिया जाता?

Bhasm aarti: आपने उज्‍जैन के बाबा महाकाल के बारे में तो सुना ही होगा, एक रोचक तथ्‍य आज हम भी आपको बताते हैं. ये बात है महिलाओं के दर्शन को लेकर.  

Mahakal mandir: महाकाल मंदिर में रोज 10 मिनट के लिए महिलाओं को दर्शन क्‍यों नहीं करने दिया जाता?
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Zee News Desk|Updated: Nov 24, 2022, 06:30 AM IST

Mahakaleshwar Jyotirling Mandir: मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirling Mandir) कई कारणों से चर्चा में रहता है. हाल ही में यहां भव्‍य महाकाल लोक कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया था. आपने सुना और देखा होगा कि कई मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता है, लेकिन महाकाल मंदिर में ऐसा कुछ नहीं है. यहां महिलाएं आराम से मंदिर में प्रवेश करती है, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि यहां महिलाओं को सिर्फ 10 मिनट तक बाबा के दर्शन करने की अनुमति नहीं होती है. इसके पीछे की वजह बेहद रोचक है, चलिए जानते हैं इसकी वजह क्‍या है? 

शिव करते हैं शंकर का रूप धारण

महाकाल मंदिर के पंडित आशीष पुजारी बताते हैं कि यहां भगवान महाकाल शिव रूप से शंकर रूप में प्रवेश करते हैं यानी कि निराकार से साकार रूप में आते हैं. इस दौरान भगवान को भस्म लगाई जाती है. भगवान के अभ्यंग स्नान का दर्शन महिलाएं नहीं करतीं हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जिस तरह से वस्त्र बदले जाते हैं, उसी तरह से भगवान महाकाल निराकार रूप से साकार रूप में आते हैं. इस दौरान कुछ मिनटों के लिए महिलाओं को दर्शन नहीं करने को कहा जाता है.

12 ज्योतिर्लिंग में से सिर्फ यहां चढ़ती है भस्म 

12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर भगवान महाकालेश्वर का स्थान माना जाता है. भगवान महाकाल को ब्रह्मांड का राजा भी माना गया है. यहां रोज सुबह राजाधिराज भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाई जाती है. आपको बता दें कि सुबह सबसे पहली भस्म आरती ही होती है, फिर प्रातः कालीन आरती, भोग आरती, संध्या आरती और शयन आरती के बाद भगवान महाकाल के पट बंद किये जाते हैं. रोजाना सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करते हैं. इस दौरान सिर्फ 10 मिनट के लिए महिलाओं को दर्शन नहीं करने के लिए कहा जाता है.

महाकाल की भस्म आरती

ऐसा बताया जाता है कि महाकाल की भस्म आरती के लिए पीपल, अमलतास, पलाश, बड़, शमी और बैर के पेड़ की लकड़ियों और उपलों को एक साथ जलाया जाता है. इस समय मंत्रोच्चारण भी किए जाते हैं, फिर इसे एक कपड़े से छाना जाता है और उससे बाबा का श्रृंगार किया जाता है.

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