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Ramotsav: तुलसिदास ने रामचरितमानस में किया है राम जन्मोत्सव का वर्णन, पंक्तियां मोह लेंगी आपका मन

Ramotsav 2024: प्रभु श्री राम के जन्म के समय न अधिक गर्मी थी और न ही सर्दी, बहुत ही सुहावना मौसम था. शीतल, मंद और सुगंधित वायु बहने लगी.

Ramotsav: तुलसिदास ने रामचरितमानस में किया है राम जन्मोत्सव का वर्णन, पंक्तियां मोह लेंगी आपका मन
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Shilpa Rana|Updated: Jan 21, 2024, 10:40 AM IST

Ramotsav 2024: प्रभु श्री राम के जन्म के समय न अधिक गर्मी थी और न ही सर्दी, बहुत ही सुहावना मौसम था. शीतल, मंद और सुगंधित वायु बहने लगी. ब्रह्मा जी से जैसे ही देवताओं को प्रभु के जन्म की जानकारी मिली सभी आकाश मार्ग से अपने अपने विमानों से अयोध्या धाम की ओर चल पड़े और गंधर्व गीत गाने लगे. 

सो अवसर बिरंचि जब जाना चले सकल सुर साजि बिमाना।।
गगन बिमल संकुल सुर जूथा गावहिं गुन गंधर्व बरूथा।।

उनका जन्म होते ही पूरी अयोध्या में घर घर मंगलमय बधाई के बाजे बचने लगे, क्योंकि शोभा के मूल भगवान प्रकट हुए हैं. पूरे नगर में पुरुष और महिलाएं आनंद बनाने लगे. 

गृह गृह बाज बधाव सुभ प्रगटे सुषमा कंद।
हरषवंत सब जहं तहां नगर नारि नर बृंद।। 

संपूर्ण अवधपुरी इस तरह सुशोभित होने लगी मानो रात प्रभु से मिलने आई हो और सूर्यदेव को देख कर मानो सकुचा गयी हो. गोस्वामी तुलसीदास श्री राम चरित मानस में लिखते हैं कि राजभवन में हर समय पक्षियों की चहचहाट और अनुपम सजावट देख कर सूर्यदेव तो अपनी चाल ही भूल गए और एक महीने का समय बीतने के बाद भी उन्हें सुध नहीं आई. सूर्यदेव अपने रथ के साथ वहीं रुक गए तो अयोध्या में रात कैसे होती. 

मास दिवस कर दिवस भा मरन न जानई कोई।
रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन विधि होई।।

एक माह बीतने के बाद देवता, मुनि और नाग आदि प्रभु का गुणगान और जन्म महोत्सव को देख कर अपने भाग्य की सराहना करते हुए चले गए. इतना ही नहीं शिव जी ने राम जन्म की कथा बताते हुए माता पार्वती से कहा, हे देवी, तुम्हारी बुद्धि श्री राम के चरणों में बहुत दृढ़ है इसलिए अपनी एक बात बताता हूं कि मैं और काकभुशुण्डि और मैं स्वयं दोनों वहां पर साथ साथ मनुष्य रूप में मौजूद थे जिसके कारण कोई पहचान नहीं सका.  

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