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आज देव दिवाली पर इस समय जलाएं दीप, जगमगा उठेगा भाग्‍य, सही विधि भी जान लें

Dev Deepawali 2023: देव दिवाली के दिन दीपक जलाने का बहुत महत्‍व है. देव दीपावली के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसके बाद सभी देवताओं ने काशी में दिवाली मनाई थी. 

आज देव दिवाली पर इस समय जलाएं दीप, जगमगा उठेगा भाग्‍य, सही विधि भी जान लें
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Shraddha Jain|Updated: Nov 26, 2023, 09:32 AM IST

Dev Diwali 2023: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में देव दीपावली मनाई जाती है. इस साल देव दीपावली 26 नवंबर 2023 दिन रविवार यानी कि आज है. हालांकि पूर्णिमा तिथि आज से प्रारंभ होकर कल 27 नवंबर 2023 की दोपहर तक रहेगी. लेकिन 27 नवंबर, सोमवार को प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त नहीं होने से देव दीपावली 26 नवंबर 2023 की रात को मनाई जाएगी. साथ ही आज देव दीपावली पर रवि योग, परिघ योग और शिव योग भी बन रहे हैं. इसके अलावा दोपहर से भद्रा भी लग रही है, लेकिन इसका वास स्वर्ग होने से इसका कोई दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा. 

देव दीपावली 2023 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 26 नवंबर, रविवार की  दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से होगा और पूर्णिमा तिथि 27 नवंबर, सोमवार की दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर समाप्‍त होगी. इस बीच देव दीपावली पर दीप जलाने का मुहूर्त शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक रहेगा. 

देव दीपावली पूजा विधि

देव दीपावली के दिन गंगाजल से स्‍नान करने के बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा में शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, फूल, माला, फल, शहद, चंदन आदि अर्पित करें. साथ ही घी का दीप जलाकर उनके दाईं ओर रखें. फिर शिव चालीसा का पाठ करें और देव दीपावली की कथा सुनें. इसके बाद शाम को सूर्यास्त के बाद किसी नदी या तालाब के किनारे भगवान शिव का स्मरण करते हुए मिट्टी के दीपक में घी और रुई की बाती से दीप जलाएं. ध्‍यान रहे कि घर के मंदिर में भी दीपक जलाएं. देव दिवाली के दिन शिव मंदिर में दीपक जलाना भी खूब लाभ देता है. 

क्यों मनाते हैं देव दीपावली?

देव दिवाली की कथा के अनुसार, ​त्रिपुरासुर के आतंक ने सभी देवताओं को भयभीत कर रखा था. तब सभी देवताओं ने शिव जी के पास जाकर त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर को मारा था. इसकी खुशी में सभी देवता गण शिव नगरी काशी गए और वहां गंगा नदी में स्नान करने के बाद शिव वंदना की. फिर प्रदोष काल में देवताओं ने घी के दीप जलाएं. तब से ही देव दीपावली के दिन शाम को वाराणसी के सभी घाटों पर दीप जलाए जाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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