trendingNow12214517
Hindi News >>धर्म
Advertisement

पिता-पुत्र होने के बाद भी दुश्मनी क्यों रखते थे सूर्य और शनिदेव, पढ़ें रोचक कथा

Shanidev aur Suryadev Pauranik Katha: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव और सूर्यदेव पिता पुत्र हैं लेकिन दोनों के बीच संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे. दोनों के बीच दुश्मनी बनी रहती थी. आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक कथा.

पिता-पुत्र होने के बाद भी दुश्मनी क्यों रखते थे सूर्य और शनिदेव, पढ़ें रोचक कथा
Stop
Gurutva Rajput|Updated: Apr 21, 2024, 11:18 AM IST

Surya Dev Shani Dev Katha: हिन्दू धर्म में सूर्यदेव और शनिदेव पिता-पुत्र का संबंध रखते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव को 9 ग्रहों का राजा कहा जाता है. वहीं, शनिदेव को न्याय का देव कहा जाता है. शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव और सूर्यदेव पिता पुत्र हैं लेकिन दोनों के बीच संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे. दोनों के बीच दुश्मनी बनी रहती थी. आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक कथा.

 

संध्या ने छाया को सौंपी जिम्मेदारी
काशीखंड में वर्णित एक कथा के अनुसार सूर्यदेव का जन्म भगवान विश्वकर्मा की कन्या संध्या से हुआ था. संध्या और सूर्य की तीन संतान मनु, यमराज और यमुना थी. सूर्यदेव के तेज प्रकोप से संध्या काफी परेशान रहती थी. सूर्य के तेज को सहने के लिए संध्या ने तपस्या की और हमशक्ल संवर्णा छाया को जन्म दिया. इसके बाद संध्या अपनी तीनों संतानों की देखरेख की जिम्मेदारी छाया को देदी और खुद अपने पिता के घर चली गई. छाया को सूर्यदेव के तेज से बिल्कुल भी परेशानी नहीं हुई.

 

शनिदेव ने सूर्यदेव पर क्यों डाली दृष्टि?
पौराणिक कथाओं के अनुसार छाया भगवान शिव की भक्त थी और पूजा करती थी. जब शनिदेव छाया के गर्भ में थी तब छाया भगवान शिव की तपस्या में लीन थी की खाने-पीने, मौसम, धूप-गर्मी का भी ध्यान नहीं रहता था. तपस्या के दौरान धूप का प्रभाव छाया के गर्भ में शनिदेव पर पड़ा और उनका रंग काला हो गया. जब शनिदेव ने जन्म लिया तो सूर्यदेव ने छाया पर संदेह किया कि ये पुत्र मेरा नहीं हो सकता. अपनी मां का अपमान देखते हुए शनिदेव ने क्रोधित हो कर सूर्यदेव पर दृष्टि डाली जिससे सूर्यदेव का रंग काला हो गया और उनकी सवारी घोडों की भी चाल रुक गई.

यह भी पढ़ें: Mahavir Jayanti 2024: युवाओं के लिए प्रेरणा, नौकरीपेशा लोगों के लिए मार्गदर्शन, महावीर जयंती पर जानिए आचार्यों की सीख

 

सूर्यदेव ने दी भगवान शिव की शरण
काला रंग होने के कारण सूर्यदेव परेशान हो गए और फिर उन्होंने भगवान शिव की शरण लेनी पड़ी. इसके बाद भगवान शिव से शनिदेव ने क्षमा-माफी मांगी. इसके बाद भोलेनाथ की कृपा से शनिदेव को उनका असली रंग वापस मिला. 
इसी कारण से पिता और पुत्र होने के बावजूद भी सूर्य और शनिदेव के बीच संबंध अच्छे नहीं थे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}