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Sita Navami 2024: कब है सीता नवमी? जानें सही तारीख, पूजा मुहूर्त और सुख-समृद्धि पाने के उपाय

Sita Navami 2024 Date: जनकनंदिनी सीता जी का जन्‍म वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की नवमी तिथि को होता है. इसलिए इसे सीता नवमी कहते हैं. सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है.

Sita Navami 2024: कब है सीता नवमी? जानें सही तारीख, पूजा मुहूर्त और सुख-समृद्धि पाने के उपाय
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Shraddha Jain|Updated: May 09, 2024, 01:21 PM IST

Sita Navami kab hai: माता सीता को भूमिपुत्री कहा जाता है, क्‍योंकि उनका जन्‍म धरती से ही हुआ था और आखिर में वे धरती में ही समा गईं थीं. वैशाख शुक्‍ल नवमी को सीता जी धरती से जन्‍मी थीं और राजा जनक ने अपनी बेटी के रूप में पालन-पोषण किया. दरअसल राजा जनक को हल जोतते समय एक पेटिका में दिव्‍य कन्‍या मिली, जो उनकी पहली पुत्री सीता कहलाईं. चूंकि सीता जी वैशाख शुक्‍ल नवमी के दिन जनक जी को मिली थीं, इसलिए इसी दिन उनकी जन्‍मजयंती मनाई जाती है. इसे सीता नवमी के अलावा जानकी नवमी भी कहते हैं. सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है. साथ ही आर्थिक तंगी दूर होती है. मां लक्ष्‍मी मेहरबान होती हैं क्‍योंकि सीता जी मां लक्ष्‍मी का ही अवतार हैं. 
 
साल 2024 में कब है सीता जयंती? 

पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 मई ,गुरुवार की सुबह 6:22 से प्रारंभ होगी और 17 मई, शुक्रवार की सुबह 08:48 बजे समाप्‍त होगी. उदया तिथि के अनुसार 16 मई को ही सीता नवमी पर्व मनाया जाएगा. सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 16 मई की सुबह 11:04 से दोपहर 01:43 तक रहेगा. 

रोचक है माता सीता के जन्‍म की कथा 

वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा. तब मिथिला नरेश राजा जनक ने ऋषियों से इससे निजात पाने का उपाय पूछा. इस पर ऋषियों ने उन्‍हें यज्ञ कराने और उसके बाद धरती पर खुद हल चलाकर खेती करने के लिए कहा. राजा जनक ने ऐसा ही किया. यज्ञ के दौरान आकाशवाणी हुई कि राजा जनक को धरती से पुत्री की प्राप्ति होगी. जब राजा जनक धरती पर हल चला रहे थे तो उनके हल से एक सोने की डलिया टकराई जिसमें एक दिव्‍य कन्‍या थी. 

राजा जनक ने उस भूमिपुत्री को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री बनाया. राजा जनक की बेटी होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जैसे ही राजा जनक ने भूमि से मिली पुत्री को अपने हाथों में लिया, तुरंत ही तेज बारिश शुरू हो गई. कन्‍या के प्रताप से मिथिला का सूखा खत्‍म हुआ और चारों ओर फसल लहलहाने लगी. एक बाद फिर राज्‍य में खुशहाली लौट आई. बाद में जनकनंदिनी सीता का स्‍वयंवर हुआ और प्रभु राम से उनका विवाह हुआ. 

सीता नवमी के दिन करें ये दान 

सीता नवमी का दिन राम नवमी की तरह ही शुभ माना जाता है. मान्‍यता है कि सीता नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा के बाद पृथ्वी दान करने से समस्त तीर्थों के दर्शन करने जितना फल मिल जाता है. इसके अलावा सीता नवमी के दिन माता सीता को श्रृंगार सामग्री अर्पित करने और फिर सुहागिनों में बांटने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. दांपत्‍य जीवन सुखी होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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