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Shri Krishna: भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा ये उपाय करते ही खुल जाएगी तकदीर, करियर में मिलेगी बेहिसाब तरक्की

Shatnamavali Stotram: शतनामावली स्तोत्र को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही चमत्कारी बताया गया है. करियर में तरक्की पाने के लिए पूजा के साथ इस स्त्रोत का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 

 
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shilpa jain|Updated: Feb 05, 2024, 09:27 AM IST

Shatnamavali Stotram Ka Path: हिंदू धर्म में श्री कृष्ण के भक्तों की कमी नहीं. श्री कृष्ण की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. साथ ही, व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है. भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करनेके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा करें. पूजा के बाद श्री कृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ अवश्य करें. और आखिर में आरती कर बाल गोपाल से अपनी मनोकामना कहें. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शतनामावली स्तोत्र का पाठ बहुत चमत्कारी माना जाता है. इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है. इसके साथ ही, हर बिगड़े काम बन जाते हैं. इतना ही नहीं, इस स्तोत्र का पाठ करने से वे जातक पर जमकर कृपा बरसाते हैं. 

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

श्री वत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !

चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !

यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !

नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !

नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !

शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः॥

वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !

तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !

गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः॥

इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः

वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !

अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः॥

मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !

वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !

कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !

संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !

शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !

सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !

जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !

युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !

कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः

नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !

पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !

एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,

अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥ 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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