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Shani Dev: जब महाराजा दशरथ ने ताना शनि देव पर धनुष, जानें फिर उन्होंने क्या किया

Shani Dev Story: पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार, एक बार शनि देव ने कृतिका नक्षत्र से निकलकर रोहिणी में प्रवेश किया. इससे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई. जानें इसके बाद क्या हुआ.   

शनि देव
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Shilpa Rana|Updated: Jan 25, 2023, 03:30 PM IST

Shani Dev Dasaratha Story: शनि देव विभिन्न नक्षत्रों में प्रवास करते रहते हैं. एक बार किसी ऐसे ही नक्षत्र में जाने पर उसके परिणाम स्वरूप 12 साल तक राज्य में अकाल पड़ने की आशंका से महाराजा दशरथ भयभीत हो गए. पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार, शनि देव के कृतिका नक्षत्र से निकलकर रोहिणी में प्रवेश करने के फल के बारे में ज्योतिषियों ने महाराज दशरथ को बताया कि इसे शकट भेद भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर 12 साल के लिए अकाल पड़ता है.

राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि और अन्य ब्राह्मणों को बुलाकर इस संकट से निराकरण का उपाय पूछा, लेकिन सभी निराश थे कि यह योग तो ब्रह्मा जी के लिए भी असाध्य है. इस पर राजा दशरथ दिव्य रथ पर दिव्यास्त्रों को लेकर अंतरिक्ष में सूर्य से भी सवा लाख योजना ऊपर नक्षत्र मंडल में पहुंचे और रोहिणी नक्षत्र के पीछे से शनि देव पर निशाना साधकर धनुष पर संहार अस्त्र चढ़ाकर खींचा. दशरथ द्वारा प्रत्यंचा चढ़ाने पर शनि देव भयभीत होने के साथ ही हंसने लगे और बोले, हे राजन्! मैं जिसकी तरफ देखता हूं, वह भस्म हो जाता है, लेकिन तुम्हारा प्रयास सराहनीय है, उससे मैं प्रसन्न हूं और वर मांगो. राजा ने कहा जब तक पृथ्वी, चन्द्र, सूर्य आदि हैं, तब तक आप कभी रोहिणी नक्षत्र को न भेदें. 

शनि ने एवमस्तु कहते हुए एक और वर मांगने को कहा तो राजा बोले कि आप कभी भी नक्षत्र भेद न करें और कभी भी सूखा व भुखमरी न हो. इतना कहकर राजा ने धनुष को रख दिया और हाथ जोड़कर शनि देव की स्तुति करने लगे. राजा दशरथ की प्रार्थना सुनकर शनिदेव अति प्रसन्न हुए और पुनः वर मांगने को कहा तो राजा बोले आप कभी भी किसी को पीड़ा न पहुंचाएं. इस पर शनि देव ने कहा, यह असंभव है, क्योंकि जीवों को उनके कर्मों के अनुसार ही सुख-दुख मिलता है, फिर भी जो व्यक्ति तुम्हारे द्वारा की गई मेरी स्तुति को पढ़ेगा, वह पीड़ा से मुक्त हो जाएगा. इतना सुन राजा दशरथ अयोध्या लौट गए.

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