trendingNow11283256
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Secrets of Saints: आखिर संतों की चाल को लेकर क्‍यों कही जाती है ये अजीब बात! इसका रहस्‍य भी जान लें

Life of Monk: संतों के जीवन को लेकर आम लोगों के मन में कई जिज्ञासाएं और धारणाएं होती हैं. इसी कारण वे संतों के जीवन और उनके कामों को कई बार सही तरीके से समझ नहीं पाते हैं. 

फाइल फोटो
Stop
Shashishekhar Tripathi|Updated: Aug 01, 2022, 12:37 PM IST

Monk Life in Hindi: संत महात्माओं की चाल उलटी होती है. ऐसा संसार के लोग कहते हैं. अपने हिसाब से वे ठीक हैं, क्योंकि संत उनके खाने में फिट नहीं बैठते तो उन्हें संतों के आचरण उलटे लगते हैं, पर यह सही नहीं हैं. संसार के हिसाब से संत की चाल उलटी हो सकती है, पर उनका मार्ग दूसरा है, उस हिसाब से उनकी चाल सीधी ही है. रामचरित मानस की इस चौपाई से यह बात और भी साफ हो जाती है.

जे गुरु पद अंबुज अनुरागी
ते लोकहु वेदहु बड़भागी 

यहां लोक और वेद दो शब्दों का प्रयोग हुआ है. लोक का मतलब संसार का मार्ग, वेद का मतलब ईश्वरीय मार्ग. जिनका गुरु के चरणों में अनुराग है, उनके भाग्य की सराहना लोक और वेद दोनों ही जगह होती है. कई जगह लोक और वेद मार्गों की धाराएं एक दूसरे से बिल्कुल उलट होती हैं, संतों का होता है वेद मार्ग तो संसार के लोगों का यह बोलना स्वाभाविक ही है कि संतों की चाल तो उलटी है. 

कोई भी कर्म संतों को नहीं बांध सकते 

संसार का कोई भी कर्म ऐसा नहीं है जो संतों को बंधन में बांध सके. संत की कोई जात नहीं होती. जात-पात, धर्म-अधर्म, ऊंच-नीच, कर्म, अकर्म, सुकर्म, कुकर्म आदि तमाम चीजें ऐसी हैं जो जीव को कर्म के बंधन में बांधती हैं और उसे अपने किए का फल भोगना होता है, फिर चाहे वो अच्छा कर्म हो या बुरा। संत इन बंधनों को काटकर परमात्मा से जुड़ चुके होते हैं. भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कई ऐसे कार्य किए या कराए जो देखने सुनने में धर्म के विपरीत जान पड़ते थे, पर इन कार्यों के पीछे मकसद होता था धर्म की विजय सुनिश्चित करना. धर्म और सत्य की जीत के लिए किया कार्य भले ही अधर्म या असत्य जान पड़े लेकिन वास्तव में वह धर्म और सत्य का स्वरूप होता है. ऐसे कार्यों का निर्धारण स्वयं प्रभु या उनके संत ही कर सकते हैं, अन्य की क्षमता नहीं है. इसी से धर्मसंगत संतों के उल्टे सीधे कार्य देखकर दुनिया बोल पड़ती है-संतों की चाल तो उलटी है.

संत विशुद्ध मिलहिं पर तेही
राम सुकृपा बिलोकहिं जेही

लेकिन संसार में असली संतों का मिलना बहुत कठिन है. इनके दर्शन तो राम कृपा से ही संभव हैं. लेकिन कौन संत है कौन असंत, इसकी पहचान तो आपको ही करनी होगी, क्योंकि संसार में आज तमाम ढोंगी, संतों का चोला ओढ़े घूम रहे हैं. 

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

Read More
{}{}