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Sawan Month: बाबा भोलेनाथ का स्वरूप है अद्भुत, जानें उनका शारीरिक श्रंगार और उसका अर्थ

Sawan ka Mahina: सभी ने संकट आने पर महादेव की शरण ली और भगवान ने भी उन्हें बिना किसी भेद के अपनी कृपा दी. शिव के स्वरूप की अद्भुत महिमा है. आज के लेख में जानेंगे कि उनके शारीरिक श्रंगार का क्या महत्व है.

सावन 2023
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Shilpa Rana|Updated: Jul 26, 2023, 12:40 PM IST

Sawan Somwar: सावन के महीने में सभी शिवभक्त भोलेबाबा की पूजा में लीन हैं. बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों पर ऊपर सदैव कृपा बरसाने में कोई कंजूसी नहीं करते हैं. वह तो दिल खोलकर वरदान देने वाले देव हैं, फिर उनकी तपस्या करने वाला कोई देवता हो या फिर असुर, सभी ने संकट आने पर महादेव की शरण ली और भगवान ने भी उन्हें बिना किसी भेद के अपनी कृपा दी. शिव के स्वरूप की अद्भुत महिमा है. सावन का चौथा सोमवार 31 जुलाई को है. इस अवसर पर उनके स्वरूप के बारे में भी जानिए. 

शीश 

शिवजी के शीश पर मां गंगा विराजमान हैं. दरअसल गंगा उनके कंठ के विष के ताप को शांत रखती हैं. वह महादेव के क्रोध को भी शांत रखती हैं. महादेव ने पृथ्वी लोक के लोगों के हित के लिए ही गंगा को अपने सिर पर धारण किया है.   

जटा

महादेव की जटाओं को वट वृक्ष की संज्ञा दी जाती है, जो समस्त प्राणियों का विश्राम स्थल है. मान्यता है कि बाबा की जटाओं में वायु का वेग भी समाया हुआ है.

शशिशेखर 

श्रापित चंद्र को सम्मान देकर अपने शीश पर धारण करने वाले महादेव, शशिशेखर कहलाए. चंद्रमा, समय का प्रतीक है, इसलिए समय चक्र से भी अवगत कराते हैं.  

त्र्यंबक

शिव को त्र्यंबक भी कहा जाता है. उनकी दाईं आंख में सूर्य का तेज और बाईं में चंद्रमा की शीतलता है. ललाट पर तीसरे नेत्र में अग्नि की ज्वाला विद्यमान है, ताकि दुष्टों को नियंत्रित रखा जा सके, साथ ही मस्तक पर नेत्र विवेक का भी प्रतिनिधित्व करता है.

अर्धनारीश्वर

शिव का अर्धनारीश्वर रूप शक्ति का प्रतीक है. इस रूप के मूल में सृष्टि की संरचना है. अर्धनारीश्वर सृजन का प्रतीक है. शक्ति के बिना सृष्टि संभव नहीं है. अर्धनारीश्वर, शिव और शक्ति का समावेश स्वरूप है.

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