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Satyanarayan Vrat Katha: मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जरूर करें ये व्रत, पढ़ें पूरी कथा

Satyanarayan Vrat: श्री सत्यनारायण जी का विधि विधान से व्रत करने से मनुष्य को तुरंत ही फल प्राप्त होता है. मनुष्य लोक में सभी तरह के सुख भोगने और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.   

Satyanarayan Vrat Katha: मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जरूर करें ये व्रत, पढ़ें पूरी कथा
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Shilpa Rana|Updated: Jan 18, 2024, 03:35 PM IST

Satyanarayan Vrat Katha: हिन्दू धर्म में व्रत और कथा कई प्रकार से बतलाई गई है, जिनकी गिनती लगभग अनगिनत है. ऐसे में सभी जनमानस कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिसको करने से जल्द ही पुण्य फल की प्राप्ति हो सके. आज हम व्रतों में सबसे सरल और उत्तम फल देने वाले भगवान विष्णु के इस व्रत की कथा को जानेंगे.  

 

सत्यनारायण कथा का पहला अध्याय

 

एक बार नैमिषारण्य तीर्थ में 88000 ऋषियों ने महान तपस्वी सूत जी से पूछा कि ऐसा कौन सा व्रत है जिसे करने से मनुष्य को थोड़े समय में ही पुण्य फल प्राप्त करता है और मनोकामना पूरी हो सकती है. सभी शास्त्रों के ज्ञाता सूत जी ने उनकी बात को सुनकर उत्तर दिया कि आप लोगों ने लोक हित में ऐसा प्रश्न किया है तो मैं अवश्य ही ऐसे व्रत के बारे में जानकारी दूंगा ताकि सभी मनुष्य पुण्य प्राप्त कर सके. 

 

उन्होंने बताया कि एक बार नारद जी ने भी यही प्रश्न भगवान विष्णु से किया था तो लक्ष्मीपति विष्णु जी ने सत्यनारायण जी का व्रत ऐसा ही फल देने वाला और सभी मनोकांक्षाओं को पूरा करने वाला बतलाया. श्री सत्यनारायण जी का विधि विधान से व्रत करने से मनुष्य को तुरंत ही फल प्राप्त होता है. मनुष्य लोक में सभी तरह के सुख भोगने और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

 

भगवान की बात सुनकर नारद जी ने उनसे प्रश्न किया कि इस व्रत को किस दिन करना श्रेष्ठ रहता है. भगवान ने उन्हें उत्तर देते हुए बताया कि दुख और शोक को दूर करने वाला, सभी क्षेत्रों में विजय दिलाने वाला है सत्यनारायण का व्रत. इस व्रत को पूर्णिमा, संक्रांति, अमावस्या अथवा एकादशी के दिन करना श्रेष्ठ माना जाता है. पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ मनुष्य संध्या के समय बंधुओं और ब्राह्मणों के साथ इस व्रत को कर सकते हैं. 

 

इस तरह करें व्रत

 

भक्ति भाव से नैवेद्य, केले का फल, घी, दूध आदि के साथ ही गेहूं का घी में भुना हुआ आटा (पंजीरी) को चीनी या गुड़ मिला कर तैयार कर लेना चाहिए. इसके बाद भगवान सत्यनारायण के विग्रह को एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाने के बाद स्थापित करें और फिर किसी आचार्य से सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें जिसमें सात अध्याय हैं.

 
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